दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहाकि वो जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी कैंपर से दूर रहें । हाईकोर्ट ने कहाकि पुलिस कैंपस में तब तक ना जाए जब तक कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर ना हो या फिर विश्वविद्यालय मदद ना मांगे ।
उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि विश्वविद्यालय एक ऐसा स्थान नहीं है जहां पुलिस जरूरी है । कोर्ट ने कहाकि , “वे छात्र हैं, अपराधी नहीं हैं,” अगर जेएनयू प्रशासन मदद मांगता है या फिर ज़रूती सबूत की जांच के बाद पुलिस कैंपस के अंदर जाए ।
जेएनयू प्रशासन ने कोर्ट मे याचिका लगाकर यूनिवर्सिटी अधिकारियों के लिए पुलिस संरक्षण की मांग की थी ताकि छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान अधिकारी प्रशासनिक ब्लॉक में जा सकें ।
जेएनयू ने आरोप लगाया था कि प्रशासनिक ब्लॉक के बाहर विश्वविद्यालय की नीति के फैसले के विरोध में छात्रों का नियमित विरोध प्रदर्शन होता है जिससे इमारत में जाना मुश्किल होता है ।
अपने वकील मोनिका अरोड़ा और हर्ष आहुजा के माध्यम से विश्वविद्यालय ने कहा कि जेएनयू स्टाफ और स्टूडेंट्स यूनियन के नेताओं को शैक्षिक नियमों और विनियमों के अनुसार प्रशासनिक ब्लॉक और शैक्षणिक परिसरों के 200 मीटर के भीतर विरोध नहीं करने को कहा जाए। इसे ध्यान में रखते हुए अदालत ने जेएनयू के छात्रों से कहा कि वे प्रशासनिक ब्लॉक के 100 मीटर की दूरी के भीतर विरोध न करें ।
विश्वविद्यालय ने विरोध के लिए एक जगह पहले से ही निर्धारित कर दी है, इसलिए छात्रों को साबरमती हॉस्टल लॉन में अपने ‘धरना’ का आयोजन करना चाहिए । “प्रशासन ब्लॉक के पास क्यों?”
अदालत ने छात्रों के वकील इस बारे में सवाल किया तो वकील ने जबाव दिया कि विरोध वहां से विरोध दिखाई नहीं देगा इस पर कोर्ट ने कहाकि प्रदर्शन शो के लिए नहीं होता है । जेएनयू प्रशासन कुछ समय के लिए प्रशासनिक ब्लॉक में और आसपास के सीसीटीवी लगा सकता है जहां छात्रों का विरोध प्रदर्शन हो ।
विश्वविद्यालय ने छात्रों से जुड़े कई विवादों के चलते परिसर में 600 सीसीटीवी कैमरे लगाने की अनुमति देने के लिए अदालत से अपील की थी । अदालत ने जेएनयू प्रशासन की याचिका पर सुनवाई की थी कि छात्र आंदोलन से प्रशासनिक ब्लॉक का रास्ता बंद हो जाता है और कामकाज प्रभावित होता है ।