इतिहास बदलने की औकात नहीं, इसलिए PM मोदी के मंत्री अनाप-शनाप बोलना बंद करें: प्रशांत तिवारी

किसी ने मुझसे पूछा कि मुजफ्फरनगर रेल हादसे के बाद क्या बयान आएगा ? मैंने कहा कि साहब लोगों का क्या बयान आ सकता हैं, वो हमें भी पता है और आपको भी । क्योंकि आज़ादी के बाद से आज तक कई सरकारें बदली, सदियां तक बदल गई पर बयान आज भी वही हैं की ‘ हमें दुःख हैं इस हादसे पर…और मरने वालों को इतने लाख और घायलों को इतने हज़ार का मुआवज़ा दिया जाएगा’… कोई यहाँ ज़िन्दगी के बदले कम से कम और ज़िंदगियां बचाने का वादा तक नहीं करता और कहते हैं हमारा देश बदल रहा।

साहब तो कहते हैं सोच बदलो देश बदलेगा आपकी सोच कब बदलेगी सर? कब हम सुकून भरी सांस ले पाएंगे कब जी पाएंगे खुली हवा में, क्योंकि हम थक गए हैं रोज मर-मर के। कभी आपकी सियासत मारती हैं तो कभी आपकी लापरवाही और कुछ बच्चे तो सर मज़ाक-मज़ाक में ही मर जाते हैं और आपके ही मंत्री कहते हैं की अगस्त का महीना मरने का ही होता हैं। और वो बिल्कुल सही कहते हैं इतिहास गवाह हैं की सियासी वहशियत का शिकार लोग अगस्त के महीने में ही सब से ज़्यादा हुए हैं।

बात करते हैं आज़ादी के वक़्त की 1947 की जब हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बटवारे में जिसमें लगभग 20 लाख लोग मारे गए थे तब वो महीना भी शायद अगस्त का ही था सर । हम आज़ाद तो हैं गये पर हुकूमत और सियासत करने का तरीका हमने अंग्रेज़ों का ही अपनाया है । फिर आप खुद ही सोचे हमें आज़ादी किस चीज़ से मिली थी । साहब आप कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम अपने मंत्रियों से बोलिये की अगर इतिहास को बदलने की औकात नहीं हैं तो बोलना बंद कर दें ।

हिंदुस्तानी जब हज़ारों सालों की ग़ुलामी झेल सकते हैं तो फिर आपकी गन्दी सियासत भी झेल लेंगे । और आपकी ही राजनीति गन्दी नहीं हैं जितने आये उतनों की ऐसी ही हैं आपसे तो बदलाव की उम्मीद थी सर, पर आप और आपकी ईमानदारी भी औरों सी ही निकली । शर्मिंदा हैं पूरा हिंदुस्तान की आज तक उसे समझने वाला कोई नहीं मिला ।

जब आपने जनता से पूछा था की इस बार आज़ादी के दिन लाल किले पर किस बारे में बोले तब मैंने आपको एक ख़त लिखा था पर शायद आपने पढ़ा नहीं होगा क्योंकि अब आपके पास वक्त कहा हिन्दुस्तान को सुनने का । ढोंग करना बंद कर दीजिए अब आपके अंदर से वो चायवाले की मिठास ख़त्म हो गई होगी जो ज़मीं पे बैठे इंसान के अंदर होती है।

अब तो आप प्रधान सेवक हैं सर, आप सेवा करिये । हम भी सेवा करेंगे, क्योंकि आपको इसकी ज़िम्मेदारी देश की जनता ने दी हैं और मुझे खुद इस देश ने । चैन से बैठने नहीं देंगे आपको, अब उठना पडेगा, राजनीति से अलग हटकर काम करना पडेगा…क्योंकि अब हिंदुस्तान में लोग सिर्फ मरने के लिए पैदा नहीं होते हैं ।

 

(लेखक प्रशांत तिवारी इंडिया न्यूज़ के पूर्व पत्रकार हैं)