ट्रिपल तलाक़ का राजनीतिकरण हुआ है: डा.असमा जेहरा

हैदराबाद : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की महिला विंग ने तीन खंडों पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को “विरोधाभासी” और “खंडित” कहा है।

AIMPLB के महिला विंग के मुख्य संयोजक डा. असमा जेहरा ने आईएएनएस को बताया कि यह फैसले छलावा देने जैसा है।

उन्होंने कहा कि वे फैसले का सम्मान करती हैं। आगे कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप की सराहना नहीं करती हैं क्योंकि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार है।

उन्होंने कहा कि पहले से ही मुस्लिम समुदाय में ट्रिपल तलाक़ खत्म हो चुका है। इस फैसले का समाज पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने दावा किया कि ट्रिपल तलाक हमेशा ही सिर्फ वजह नहीं होता है, कई बार असफल और परेशान विवाहों से महिलाओं को तलाक़ लेने पर मज़बूर होना पड़ता है।

“तालक एक गैर मुद्दा है और तलाक की दर मुस्लिम समुदाय में सबसे कम है। मुसलमानों में तलाक की दर केवल 0.5 प्रतिशत है, जबकि हिंदू समुदाय में यह 1.64% है।”

उनके अनुसार, फैसले का पहला हिस्सा मुस्लिम पर्सनल लॉ के पक्ष में है और दूसरे भाग में जबकि दो न्यायाधीशों ने कहा कि इस प्रथा को धारा 25 के तहत संरक्षित नहीं किया जा सकता है।

अब्दुल नज़ीर ने कहा है कि “तलक-ए-बिद्त को फिर से जांच की जरूरत है” दोनों न्यायाधीशों ने यह भी पाया कि अदालत के लिए अलग ‘हदीस’ में जाने और उनपर टिप्पणी करना बिलकुल भी सही नहीं है।