PFI मुख्यालय में श्रद्धांजलि सभा: जस्टिस सच्चर भारतीय मुसलमानों के सच्चे दोस्त साबित हुए : ई.एम. अब्दुर्रहमान

प्रसिद्ध विद्वान, क़ानूनविद व सामाजिक कार्यकर्ता जस्टिस राजिंदर सच्चर को श्रद्धांजलि देने के लिए शुक्रवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जस्टिस सच्चर 20 अप्रैल 2018 को इस दुनिया से चले गए। उनके निधन के साथ ही लोकतंत्र, सेक्युलरिज़्म और मानवाधिकार संघर्ष में एक बहुत बड़ा स्थान रिक्त हो गया।

पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में डाॅ॰ सैयद जफ़र महमूद (सच्चर कमेटी के पूर्व विशेष अधिकारी व चेयरमैन ज़कात फाउंडेशन आॅफ इंडिया), जस्टिस सच्चर के नवासे एड॰ अक्षय भंडारी, ई.एम. अब्दुर्रहमान (सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद, पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया) और प्रो॰ पी. कोया (मेनेजिंग डायरेक्टर, दैनिक तेजस) ने हिस्सा लेकर अपने विचार व्यक्त किये।

इस अवसर पर ई.एम. अब्दुर्रहमान ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि जस्टिस सच्चर भारतीय मुसलमानों के सच्चे दोस्त साबित हुए, लेकिन मैं उन्हें केवल एक दोस्त नहीं बल्कि अपना असली लीडर कहना बेहतर समझता हूँ। अब्दुर्रहमान ने पिछले साल जस्टिस सच्चर के साथ हुए एक इंटरव्यू का हवाला देते हुए कहा कि हमारे इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा था किः ‘‘हमारी कमेटी ने अपना काम कर दिया है।

अब सरकार से अपने अधिकार हासिल करना मुसलमानों की जिम्मेदारी है। मुसलमानों के हालात तभी बदल सकते हैं जब वे खुद बदलाव के लिए पूरी कोशिश करेंगे। जस्टिस सच्चर के साथ अपने अनुभवों को बयान करते हुए डाॅ॰ सैयद ज़फर महमूद ने कहा कि हमें पिछली कई सदियों में ऐसा इंसान नहीं मिलेगा जिसने जस्टिस सच्चर की तरह पिछड़े वर्गों के मानवाधिकार और उनके कल्याण के लिए खुद को समर्पित कर दिया हो।

डाॅ॰ महमूद ने याद दिलाते हुए कहा कि सच्चर रिपोर्ट के निर्माता को श्रद्धांजली देने का एकमात्र तरीका यह है कि सरकार में मुसलमानों के प्रतिनिधित्व को अधिक से अधिक बढ़ाया जाए। इस कार्यक्रम में जस्टिस सच्चर के नवासे एड॰ अक्षय भंडारी ने अपने नाना के साथ घरेलू अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनका जीवन इतना सादा था कि हम उसके बारे में सोच भी नहीं सकते।

भंडारी ने कहा किः जब मेरे नानाजी को प्रधानमंत्री की उच्च स्तरीय कमेटी का नेतृत्व सौंपा गया तो उन्होंने सुरक्षा लेने से भी इनकार कर दिया। जब कभी भी हमें उनके कार्यालय में जाने का मौका मिला हमें वहाँ हर स्तर और हर तरह के लोग एक साथ बैठे हुए मिले। वह किसी भी तरह के भेद-भाव को पसंद नहीं करते थे। वह अत्याचार के खिलाफ थे, चाहे अत्याचार किसी भी रूप में हो और अत्याचारी कोई भी हो। वह सबके साथ समानता पर यकीन रखते थे।

प्रो॰ पी. कोया ने कहा कि जस्टिस सच्चर ने पूरी मानवता विशेषकर सबसे कमज़ोर वर्ग को हौसला देने का काम किया है। साथ ही उन्होंने भारत की गंगा-जमनी तहज़ीब का प्रतिनिधित्व किया है। कार्यक्रम में आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के उपाध्यक्ष व दारूल उलूम वक़्फ देवबंद के नाज़िम मौलाना मुहम्मद सालिम क़ासमी और मरकज़ी जमीअत अहले हदीस के पूर्व महासचिव मौलाना अब्दुल वहाब खिल्जी को भी श्रद्धांजलि दी गई। दोनों ही लोगों का हाल ही में निधन हुआ है।

पाॅपुलर फ्रंट के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष परवेज़ अहमद ने सभी मेहमानों और उपस्थित लोगों का स्वागत किया और पाॅपुलर फ्रंट मुख्यालय के जनसंपर्क विभाग के डायरेक्टर डाॅ॰ मुहम्मद शमून ने सबका धन्यवाद किया। पाॅपुलर फ्रंट के दिल्ली प्रदेश सचिव मुहम्मद इलियास ने कार्यक्रम का संचालन किया।