रोहित की सांस्थानिक हत्या करने वाले नजीब मामले में मुसलमानों को आतंकित करते हैं- कन्हैया कुमार

आज नौ फरवरी का दिन पूरे देश के कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों के उन तमाम साथियों के संघर्ष को याद करने का दिन है जो भाजपा सरकार की तमाम साज़िशों के ख़िलाफ़ पूरी मज़बूती के साथ खड़े रहे। पिछले साल उन साथियों ने नॉन-नेट फेलोशिप बंद करने और शिक्षा को विदेशी दुकानदारों के हवाले कर देने की योजनाओ को लागू करने का विरोध करते हुए पुलिस की लाठियों का सामना किया।

यह वही समय था जब वे हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में साथी रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या के दोषियों को सज़ा दिलाने की लड़ाई लड़ रहे थे और उसी समय आरएसएस के लोग उनकी आवाज़ को दबाने की साज़िश रच रहे थे।

कैंपसों मेंं पुलिस भेजी गई, कोर्ट में हमारे साथियों के साथ शिक्षकों को भी पीटा गया, हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में आवाज़ उठाने वाले शिक्षकों को कैंपस से पुलिस अपने साथ ले गई, यूनिवर्सिटियों को बदनाम करके उन्हें बंद करने की मुहिम चलाई गई और ऐसे तमाम काम किए गए जो जनता को हर तरह से सताने वाली कोई संघी सरकार कर सकती है।

जिनकी दुकान अशिक्षा पर टिकी है और जो विदेशी पूँजी का रास्ता साफ़ करने के लिए आदिवासियों, किसानों आदि को मरने पर मजबूर करने से पहले एक बार भी नहीं सोचते, उनके ख़िलाफ़ हमारा संघर्ष जारी रहेगा। वे नजीब के मामले में मुसलमानों को आतंकित करने की कोशिश करते हैं।

यूजीसी के नियमों के बहाने उच्च शिक्षा में सीटों की भारी कटौती करके गरीबों, दलितों, पिछड़ों,आदिवासियों, मुसलमानों और समाज के तमाम दूसरे शोषित तबकों को शिक्षा से दूर रखने की साज़िश रचते हैं। लेकिन हम हर मामले में और हर हाल में अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे।

लड़ेंगे, जीतेंगे।

नोट- यह लेख जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की फेसबुक वॉल से लिया गया है।