तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही बहस के बीच आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने इस आस्था की तुलना भगवान राम के अयोध्या में जन्म से कर डाली।
सिब्बल ने कहा कि अयोध्या में राम का पैदा होना आस्था का विषय है, संवैधानिक नैतिकता नहीं। ऐसा इस केस में भी है।’ यह समान हिस्से और अच्छे विवेक का प्रश्न है। आप यहां संवैधानिक नैतिकता को नहीं ला सकते हैं।
इसी तरह मुसलमान पिछले 1400 वर्ष से तीन तलाक प्रथा का पालन कर रहे हैं और यह विश्वास का मामला है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि तीन तलाक 1400 साल पुरानी परंपरा है, इसे गैर इस्लामिक ठहराने वाले हम कौन होते हैं?
एआईएमपीएलबी ने कोर्ट से कहा कि आस्था के मामले में संवैधानिक नैतिकता एवं समता का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
आस्था का सवाल उठाते हुए सिब्बल ने आगे कहा, ‘अगर हिंदू मानते हैं कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था तो इस आस्था को संवैधानिक मान्यता के आधार पर सवालों के घेरे में नहीं लाया जा सकता।’
इस पर जस्टिस आर. एफ नरीमन ने सिब्बल ने पूछा, ‘क्या आप यह कहना चाहते हैं कि हमें इस मामले पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए?’ जवाब में सिब्बल ने कहा, ‘हां, आपको नहीं करनी चाहिए।’
अपनी दलीलों को आगे बढ़ाते हुए सिब्बल ने कहा, ‘अगर निकाह और तलाक दोनों कॉन्ट्रैक्ट हैं, तो दूसरों को इससे समस्या क्यों होनी चाहिए? खास तौर पर तब, जब इसका पालन 1400 सालों से किया जा रहा है।’
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने AIMPLB से पूछा कि इस्लाम में वॉट्सएेप पर दिए गए ई-डिवॉर्स को लेकर स्थिति क्या है। मामले पर सुनवाई जारी है।