हर धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक पार्टी किसी भी कीमत पर कर्नाटक में अगली सरकार सेक्युलर बनाने की योजना बना रही है। क्योंकि, यह दक्षिणी क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा राज्य है, जो अन्य दक्षिणी राज्यों के लिए एक मुख्य मार्ग के रूप में कार्य करता है। यहां वोटों का विभाजन विनाशकारी होगा।
एक महीने तक जनता दल (सेक्युलर) से कोई प्रतिक्रिया पाने में असफल होने के बाद असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) ने कहा कि वह अकेले कर्नाटक विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। पार्टी सूत्रों ने कहा कि सीटों की संख्या को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
ओवैसी पहले से ही देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले जनता दल (एस) और मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, पार्टी को दो में से किसी की भी प्रतिक्रिया नहीं मिली।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) ने अगस्त 2015 में हुए बेंगलुरू नगर निकाय चुनाव में चुनाव लड़े थे लेकिन जीत नहीं मिली थी। एमआईएम ने महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश में भी चुनाव लड़ा था।
हालांकि, महाराष्ट्र में 2 सीटें जीतने के अलावा अन्य दो राज्यों में यह किसी भी सीट पर जीत नहीं पाई। एमआईएम ने पहली बार 2012 में नांदेड़ के स्थानीय निकाय चुनाव लड़े और 11 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, 2017 के नांदेड़ के निकाय चुनावों में उसे अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा था।
वर्तमान में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, जिसमें सदन में कुल संख्या 224 है और इसमें कांग्रेस के 113 विधायक हैं। भाजपा के 44 सदस्य हैं जबकि जनता दल (एस) के 40 विधायक हैं। 2013 का कर्नाटक चुनाव 5 मई को हुआ था।
कर्नाटक विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 28 मई, 2018 को खत्म हो जाएगा। नियमों के मुताबिक विधानसभा चुनाव होंगे और सदन का गठन 29 मई से पहले होगा। 2011 की जनगणना के अनुसार, कर्नाटक की कुल आबादी का 84 फीसदी हिंदू, 12.9 फीसदी मुस्लिम, 1.9 फीसदी ईसाई, 0.7 फीसदी जैन, 0.2 फीसदी बौद्ध, 0.1 फीसदी सिख और शेष अन्य धर्मों के लोग हैं।
कांग्रेस, जनता दल (एस) और अन्य दल, जो धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करते हैं, के अलावा, असदउद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पहले के चुनावों में मुस्लिम वोटों की एकमात्र तलाश रही है।
हालांकि, कर्नाटक में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और डॉ नाहेरा शेख की अगुआई वाली अखिल भारतीय महिला सशक्तीकरण पार्टी (एमईपी) मुस्लिम समर्थन पर चुनाव लड़ रही हैं।
एसडीपीआई ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि यह कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि अखिल भारतीय महिला सशक्तीकरण पार्टी (एमईपी) ने पहले ही कहा है कि वह सभी 224 विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों को उतारेगी। एमईपी राज्य में पहली बार चुनाव लड़ रही है।
(अब्दुल हाफिज लखानी, अहमदाबाद/बंगलूरू)