कर्नाटक सरकार अप्रत्यक्ष रूप से उर्दू ज़बान को खत्म करने की कोशिश कर रही है

बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार राज्य के हाई स्कूलों से थ्री लैंग्वेज फ़ॉर्मूले को हटाकर टू लैंग्वेज फ़ॉर्मूले को लागू करने पर विचार कर रही है। उर्दू दां इसका सख्त विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर प्राइमरी के बाद उर्दू छात्रों को केवल दो भाषाओं का चयन करना हो तो वह स्थानीय भाषा कन्नड़ और अन्तर्राष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी चुनने पर मजबूर हो जाएंगे। इससे उर्दू के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

कर्नाटक में उर्दू भाषा पर मंडरा रहे ख़तरे के बादल से राज्य के हजारों हाई स्कूल बंद हो सकते हैं। टू लैंग्वेज फार्मूले की आड़ में उर्दू माध्यमिक हाई स्कूल सरकार के निशाने पर आ सकते हैं। हाई स्कूलों में तीन भाषाओँ की जगह दो भाषे के फ़ॉर्मूले का लागू करने पर सरकार विचार कर रही है। सरकार का कहना है कि छात्रों को भाषा सीखने के अतिरिक्त बोझ देना मुनासिब नहीं है।

कर्नाटक सरकार की इस परियोजना से राज्य के उर्दू तबके में काफ़ी बेचैनी दिखाई दे रही है। उनका कहना है कि इससे उर्दू सबसे अधिक प्रभावित होगा। कर्नाटक में 1968 से थ्री लैंग्वेज फार्मूला लागू है। इसके तहत, कन्नड़, अंग्रेजी, उर्दू, तमिल, तेलगू, मराठी और हिंदी को पहली, दूसरी या तीसरी भाषा के रूप में अपनाया जा सकता है।