बीते गुरुवार आतंकी हमले में शहीद हुए कश्मीर के लांस नायक गुलाम मोहिउद्दीन राठेर को अंतिम विदाई देने के लिएसड़कों पर हजारों की भीड़ उमड़ी आई। सेना के लांस नायक गुलाम मोहिउद्दीन राठेर सहित दो और जवान बुधवार देर रात उस वक्त शहीद हो गए जब आतंकियों ने शोपिंया में घात लगाकर हमला किया।
शुक्रवार को जब तिरंगे में लिपटा इस शहीद का शव बिजबेहरा के मरहामा गांव लाया गया तो पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गई। सबकी आंखे नम थीं।
पिछले महीने अपने बेटे आहिल का पहला जन्मदिन मनाकर जब लांस नायक राठेर ने बिजबेहारा के मरहामा गांव का अपना घर छोड़ा था तब किसी को नहीं पता था कि वे उन्हें आखिरी बार देख रहे हैं।
35 साल के राठेर के पैर में छह गोलियां लगी थी लेकिन ज्यादा खून बहने की वजह से उन्हें बचाया नहीं जा सका। आतंक प्रभावित घाटी में हजारों कश्मीरियों ने सैनिक की शहादत को सलाम किया। इसे घाटी के बदलते मिजाज से जोड़कर देखा जा रहा है।
गुलाम के चाचा शकील अहमद ने कहा, ‘हम बहुत आहत और दुखी हैं. सारे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। इसके जाने से परिवार बरबाद हो गया क्योंकि वो परिवार का इकलौता बेटा था।
वहीं मोहिउद्दीन के चचेरे भाई खुशर्दी अहमद ने कहा कि ‘गुलाम मोहिउद्दीन एक सीधा सादा इंसान था। पूरा गांव उसकी इज्जत करता था। उसकी किसी से कभी कोई लड़ाई नहीं हुई, वो एक अच्छा इंसान था।’
सेना के जवान के लिए उमड़ी इतनी भीड़ को देखकर किसी को यकीन नहीं हो रहा था, खासकर सेना के अधिकारियों को लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि मोहिउद्दीन ने सेना की परंपरा को अतिम सांस तक निभाया और ऐसे जवान पर हमें गर्व है।