म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर बर्मा सरकार द्वारा किए जा रहे अत्याचार पर जहां सोशल मीडिया पर कश्मीरी लोगों अपनी नाराजगी जाहिर की है। वहीं
जम्मू कश्मीर के कुलगाम और पुलवामा जिलों में कल छात्रों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया। इससे पहले सोमवार को त्राल शहर में इसी तरह का प्रदर्शन हुआ था।
इन लोगों ने म्यांमार के रखाइन प्रांत में अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी’ (अर्सा) द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों के घरों को तोड़ने और उनके आग के हवाले करने का विरोध किया।
रखाइन प्रांत मे अक्सर बौद्धों और मुसलमानों के बीच तनाव रहता है। म्यांमार बौद्ध बहुसंख्यक देश है। जहाँ रह रहे अधिकतर मुसलमान ख़ुद को रोहिंग्या कहते हैं।
यह समूह बंगाल के एक हिस्से में पैदा हुआ जो जगह अब बांग्लादेश के नाम से जानी जाती है। संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बताया है कि म्यांमार में पिछले महीने में मुसलमानों के खिलाफ बढ़ी हिंसा के बाद करीब 123,000 मुसलमान कथित तौर पर बांग्लादेश की सीमा की ओर पलायन कर गए हैं।
बांग्लादेश में यूएनएचसीआर के प्रवक्ता जोसेफ सूरजमोनी त्रिपुरा के मुताबिक, हाल ही में पहुंचे शरणार्थियों में 30 हजार से ज्यादा पिछले 24 घंटे के दौरान यहाँ दाखिल हुए हैं, जो अभी अस्थाई शिविरों में रह रहे हैं।
अभी 6 हजार शरणार्थी अपने परिवार के सदस्यों के साथ कॉक्स बाजार जिले में शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। म्यांमार ने रोहिंग्या लोगों को नागरिकता न देने के बाद बांग्लादेश ने इन्हें शरणार्थी का दर्जा दे दिया है।