कठुआ गैंगरेप: खाली मकान, बंद मंदिर और न्याय के मुखौटे में राजनीति

हीरानगर से बायें मुड़ने के बाद एक पथरीला रास्ता पड़ता है जो रासना गांव को जाता है। रासना यानी वह गांव जहां 8 साल की बच्ची के साथ कथित तौर पर दरिंदगी हुई उसका मर्डर कर दिया गया। रासना की इस लोमहर्षक वारदात ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। गांव के अंदर एक मंदिर है जो अब बंद पड़ा है। यह वही मंदिर है जहांलकथित तौर पर लड़की को रखा गया और गैंगरेप किया गया। एक जंगल है, जहां दिन में मवेशी चरते हैं लेकिन रात में जंगली जानवर भी आ सकते हैं। एक घर है जो अब खाली पड़ा है। इन तीनों के इर्द-गिर्द ही मरी हुई बच्ची की कहानी घूम रही है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के रिटायर्ड डीआईजी मसूद चौधरी कहते हैं कि कोई भी अपराध और क्रूरता के बारे में बात नहीं कर रहा। उनके मुताबिक इस मामले में तेजी से राजनीति और ध्रुवीकरण हो रहा है। रासना गांव खाली दिखता है। यहां के हिंदू रहवासी भी या तो छिपे हैं या कहीं धरने पर बैठे हुए हैं। वहीं बकरवाल समुदाय (खानाबदोश मुस्लिम जनजाति), जिससे बच्ची आती थी, फिलहाल गांव छोड़कर जा चुका है। लड़की का परिवार भी घटना के कुछ दिनों बाद ही गांव छोड़ चुका है। दो गुलाबी खंभों और हरी दीवारों वाला लड़की का घर खाली है।

घर के भूरे रंग के छोटे दरवाजे पर ताला लगा है जिसपर एक ताबीज लटका हुआ है। शायद यह ताबीज सौभाग्य के लिए लटकाया गया है। दाहिनी तरफ किचन है। शेल्फ पर एक प्रेशर कूकर, एक फ्लास्क, दो खाली जार, एक चाय का कप और एक ग्लास रखा है। एक छोटा हॉल है, जिसमें कुछ भी नहीं है। बाहर पीछे की तरफ कुछ पुराने प्लास्टिक के जूते रखे हैं। एक जोड़ी सबसे छोटे जूतों में शायद बारिश का पानी भर गया है। ये शायद उस लड़की के जूते हैं।

उधर, हीरानगर में रिटायर्ड रेवेन्यू अधिकारी और मुख्य आरोपी संजी राम का परिवार न्याय के लिए उपवास पर बैठा है। इनके साथ हिंदू एकता मंच के सदस्य भी हैं। यहां गुस्सा और तिरस्कार की भावना साफ महसूस की जा सकती है। संजी राम की बड़ी बेटी मधुबाला कहती हैं, ‘हम चाहते हैं कि इस मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया जाए। हम चाहते हैं कि असल दोषियों को सजा मिले।’ मधुबाला का पति सेना में है और श्रीनगर में तैनात है। करीब एक हफ्ते से प्रोटेस्ट कर रही मधुबाला अपने पिता और भाई विशाल को निर्दोष बताती हैं। विशाल मुजफ्फरनगर के एक कॉलेज में पढ़ रहा था और उसपर भी लड़की से रेप का आरोप है।

मधुबाला का साथ दे रहे हिंदू एकता मंच के अध्यक्ष और पेशे से वकील विजय शर्मा। इनका संगठन जांच इस मामले की ‘निष्पक्ष’ जांच के लिए लड़ाई लड़ रहा है। विजय शर्मा कहते हैं, ‘क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच कर रहा है और वही कर रहा है जो महबूबा मुफ्ती की सरकार चाहती है। क्या उन्नाव रेप केस को सीबीआई ने अपने हाथों में नहीं लिया? फिर इस मामले को क्यों नहीं?’ शर्मा इस बात से इनकार कर रहे हैं कि वह और उनका संगठन किसी भी तरह की राजनीति कर रहा है।

शर्मा का कहना है कि ग्रुप के सदस्यों द्वारा पहली बार 17 जनवरी को हुए प्रदर्शन के बाद स्वतः ही 27 जनवरी को हिंदू एकता मंच का गठन हुआ। जब छा गया कि वकीलों को केस लड़ने से क्यों रोका जा रहा, शर्मा ने कहा, ‘हमें गलत समझा गया। हम किसी समुदाय या व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं। हम केवल इतना कह रहे हैं कि निर्दोषों को सजा नहीं मिलनी चाहिए।’ हालांकि रिटायर्ड डीआईजी मसूद चौधरी को इन सबके पीछे बड़ी साजिश की आशंका है।

चौधरी कहते हैं, ‘बकरवाला समुदाय यहां बस रहा था और कुछ को यह बात पसंद नहीं थी। इसलिए उन्हें डराकर भगाने के लिए यह सब हुआ। इसके अलावा हीरानगर एक आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र है जो अगली बार आरक्षित नहीं रहेगा। जम्मू-कश्मीर में एक निर्वाचन क्षेत्र को रोटेशनल बेसिस पर आरक्षित किया जाता है। ऐसे में जबकि कुछ नेता इसे अलग ही रंग देने में जुटे हुए हैं, तो किसे फायदा होगा?