पति ने दी हिम्मत, बेटे को संभाला, और कभी मुक्केबाज़ी छोड़ चुकीं कविता अमेरिका से ले आईं मेडल

एक वक़्त में कविता चहल ने अपने बच्चे के लिए मुक्केबाजी से दूरी बना ली थी लेकिन उनके पती सुधीर कुमार ने उन्हें हिम्मत दी। अब फिर से मुक्केबाजी की शुरुआत करने के बाद कविता ने अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिखाते हुए अमेरिका के लॉस एंजलिस में चल रहे विश्व पुलिस खेलों में स्वर्ण पदक जीता है।

यहां मुक्केबाजी की फाइनल प्रतियोगिता में कविता ने लंदन मेट्रो पुलिस फॉर्स की हॉरगन को 3-0 से हराकर स्वर्ण पदक पर अपना कब्जा जमाया। कविता अपनी कामयाबी के पीछे अपने पति का हाथ बताती हैं।

उनका कहना है कि जब मैं हरियाणा पुलिस में अपनी दारोगा की नौकरी करके मुक्केबाजी की प्रैक्टिस के लिए जाती थी तो मेरे पति हमारे बच्चे का ध्यान रखते थे। उनके होते हुए मुझे कभी भी कोई परेशानी नहीं हुई है।

मुक्केबाजी कविता को विरासत में अपने पिता भूप सिंह से मिली जो कि सेना में मुक्केबाजी का खेल खेलते थे। कविता ने द्रोणाचार्य अवॉर्ड विजेता जगदीश सिंह से मुक्केबाजी के गुण सीखे हैं। कविता जब 18 वर्ष की थीं, तब से ही वे मुक्केबाजी कर रही हैं।

कविता ने 2007 में राष्ट्रीय मुक्केबाज प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। राष्ट्रीय स्तर पर अब तक कविता 28 स्वर्ण, दो रजत और तीन कांस्य पदक जीत चुकी हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कविता ने दो स्वर्ण, दो रजत और 7 कांस्य पदक जीते हैं।

कविता के बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा खेल का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार अर्जुन अवॉर्ड भी दिया जा चुका है।