ढाका: रोहिंग्या में जहां एक तरफ हिंसा की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं, वहीं दूसरी तरफ इंसानियत की तस्वीरें भी सामने आ रही हैं।
म्यांमार से भाग रहे रोंहिग्या मुसलमानों की बड़ी आबादी बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर फंसी हुई है। इस मुश्किल वक़्त में रोहिंग्या मुसलमानों का हाथ थामा है
खालसा ऐड नाम की अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने। जहाँ पहुंचे सिख समुदाय के लोग इन भूखे-प्यासे लोगों को जरूरी मदद मुहैया करा रहे हैं। म्यांमार से निकले ज्यादातर शरणार्थियों ने बांग्लादेश सीमा के करीब तेकनफ गांव में शरण ली है। यहां पर लगभग तीन लाख से ज्यादा शरणार्थियों पहुंचे हैं।
हालाँकि खालसा ऐड को इनकी मदद करने में खुद भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। क्यूंकि इन भूख,प्यास से परेशान लोगों की मदद करने पहुंचे खालसा ऐड के सदस्य अपने साथ 50000 शरणार्थियों की राहत सामग्री का अनुमान लगाकर यहाँ आये थे।
लेकिन यहां तीन लाख से ज्यादा लोग मौजूद है।
सिख संगठन खालसा ऐड ने इनकी भूख मिटाने के लिए यहां लंगर लगाया है और लगातार हो रही बारिश से बचने के लिए इन्हें टेंट भी दिए जा रहे हैं।
शरणार्थियों की संख्या ज्यादा होने के कारण संस्था को खाने-पीने और तंबू का इंतजाम करने में परेशानी आ रही है। मगर इंसानियत के जज्बे को लेकर पहुंचे इस संस्था के वॉलेंटियर्स ने तय कर रखा है कि किसी भी शऱणार्थी को भूखे नहीं सोने दिया जाएगा। इसके लिए दिन रात लंगर चालू रहेगा।
लंगर चालू रखने के लिए संस्था को सामान लाने में भी परेशानी हो रही है, क्योंकि ये गांव ढाका से दस घंटे की दूरी पर है।
म्यांमार में हो रही हिंसा के बाद यूएन रिपोर्ट की मानें तो लगभग ढाई लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान अबतक बांग्लादेश में शरण लेने पहुंचे हैं वहीं इससे बड़ी आबादी बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर फंसी हुई है।
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