खुदाई खिदमतगार ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानी शेख उल हिंद मॉलाना महमूदुल हसन की याद में 30 नवंबर को देवबंद-उत्तर प्रदेश से राजघाट-नई दिल्ली यात्रा का आयोजन किया। यात्रा में सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश, पत्रकार डॉ। मणिमाला, अखिल भारतीय मजलिस ई मुशरवार, राष्ट्रीय राष्ट्रपति नवायद हामिद और खुदाई ख़्दममार्ग के राष्ट्रीय संयोजक फैजल खान शामिल थे, खुदाई ख़िदममगर ने अपने पुनरुद्धार से स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को याद किया , ' और कहा की शेख उल हिंद, जैसे नायकों को जानना और याद रखना चाहिए। आप को बता दें की महमूदुल हसन जिन्होंने “रेशमी रुमाल तहरीक़” चलाकर न सिर्फ अंग्रेज़ो से लोहा लिया बल्कि उनकी क़यादत में हज़ारो उलेमाओं ने देश के लिए क़ुरबानी दी। शेखुल हिन्द कई बरस तक माल्टा जेल में रहे और पुरे नार्थ इंडिया के उलेमाओ को अंग्रेज़ो के विरुद्ध संगठित किया।उनकी इसी क़ुरबानी की याद में देश के 50 से अधिक विभिन्न धर्मो और सम्प्रदायों के सामाजिक कार्यकर्ता उनके सन्देश और महान कार्यो का प्रचार प्रसार करते हुए एक दिनी देवबंद से दिल्ली यात्रा पर निकले ताकि लोग इस महान हस्ती की क़ुरबानी को गहरायी से जान पाये। खुदाई खिदमतगार ने बतया जब यात्रा मुज़फ्फरनगर पहुंच गई, तो एक विशाल सभा ने यात्रा की और मीनाक्षी चौक के पास एक बैठक आयोजित की, इसी तरह खतौली में और देवबंद में भी। अंत में इस्लामिक सेमिनरी डारुल उलोम डेओबैंड के वाइस चांसलर मौलाना अबुल कासिम बनारसी ने यात्रा के लिए आमंत्रित किया और इस ऐतिहासिक पहल के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की और टीम को इसी तरह की पहल को समय पर और गंभीरता से लेने की सलाह दी, क्योंकि देश को बेहतर हिंदू चाहिए। अच्छी तरह से एक बेहतर मुस्लिम है जिसके द्वारा हम इस राष्ट्र को नफरत करने वाले राजनेताओं और नकली धार्मिक लोगों से बचा सकते हैं। यह जानने के लिए बहुत दुखी है कि आम आदमी को 90 प्रतिशत से अधिक कार्यकर्ताओं को शेख उल हिंद के बारे में नहीं पता है, फिर इन व्यक्तित्वों के संदेश समाज को कैसे बदलते हैं, यह सब के सामने सबसे बड़ा सवाल है