जानिए, वह कौन कौन से गुनाह हैं, जिनकी वजह से कोई भी दुआ कुबूल नहीं होती

दुआ अल्लाह की इबादत है, दुआ मांगने से बेशुमार सवाब मिलता है, रब से न मांगना बेपरवाही की निशानी है। बंदे को चाहिए की वह अपने अल्लाह से हर वक़्त दुआ मांगता रहे, इससे मोहब्बत इलाही पैदा होती है, इंसान अल्लाह के क़रीब हो जाता है और ज्यादा दुआ मांगने का जज्बा आता है।अल्लाह पाक अपने बंदे की हर ख्वाहिश को पूरा करता है अगर वह उसे दिल से मांगे तो- अल्लाह अपने बंदा का हर गुनाह माफ़ कर देता है अगर वह नेक नियत से इस्तगफार करे तो दुआ रब को अज़ीज़ है।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

दुआ से आने वाली हर मुसीबत टल जाती है और बदनसीबों के नसीब खुल खुल जाते हैं। दुआ वह अहि जिससे किस्मतें बदल जाती हैं।
अल्लाह ताला ने हजरत आदम अलैहिस्सलाम से फरमाया कि एक काम तुम्हारा है और एक काम हमारा। तुम्हारा काम दुआ मांगना है, हमारा काम कुबूल करना।

बेशक दुआ मांगने वाला अल्लाह और उसके रसूल के बेहद करीब हो और अल्लाह को दुआ मांगने वाला अपना बंदा बेपनाह पसंद हो, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि दुआ की शर्तें हैं और उनके पूरा न होने से अल्लाह पाक दुआ कबूल नहीं करता, कुछ गुनाह ऐसे हैं जिनसे इंसान की दुआ कुबूल नहीं होती। अगर कोई शख्स रिश्वत भी खाता हो, और माल गबन और खयानत भी उड़ाता हो, शराब भी पीता हो, और गरीबों का लहू भी चूस कर जीता हो, और हर चीज़ हराम ही उसके यहाँ जनता हो तो ऐसे शख्स की पुकार कुबूलियत के दर्जे तक नहीं पहुंच सकती।

और ऐसा शख्स जिस का आमदनी का जरिया शक के दायरे में हो ऐसे इंसान का खाना पीना ओढ़ना बिछौना सब हराम होता है और ऐसे इंसान का जिस्म भले ज़ाहिरी तौर पर खुशबूदार हो मगर उसकी आत्मा बहुत बदबूदार होता है, और पवित्रता पसंद करने वाला रब उसकी आवाज़ को नहीं सुनता है इसी वजह से ऐसे इंसान की दुआ अल्लाह कभी कुबूल नहीं करता।