केरल में आई बाढ़ का असर पड़ोसी राज्य कर्नाटक में भी दिखा। कर्नाटक के कई जिले भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित हैं जिसमें मडिकेरी और कुशालनगर के बीच एक छोटा से शहर बाढ़ से प्रभावित लोगों को आश्रय प्रदान करने के लिए सामने आया है और चर्च, मंदिर और मदरसा दुख की इस घडी में भी मानवता के लिए भेदभाव की सभी बाधाओं से परे हैं।
हालांकि कुर्ग के सुंतिकोप्पा में बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है, इसलिए यहां के लोग बाढ़ प्रभावितों के लिए आगे आए हैं। मदद के लिए लोगों ने रातों रात धर्म का भेद मिटाकर मंदिर, चर्च और मदरसों को राहत शिविरों में बदल दिया है। पिछले कुछ दिनों में यहां के लोगों ने आसपास के गांवों से 600 से ज्यादा लोगों को बचाया है।
यद्यपि शहर खुद प्रभावित नहीं हुआ, ग्रामीणों ने बाढ़ से प्रभावित पड़ोसी गांवों से लोगों को बचाने का फैसला किया। लगभग 400 लोगों ने मंदिर, 200 ने चर्च में और मदरसे में 300 से अधिक लोगों को आश्रय लिया है। इन अस्थायी राहत शिविरों में आश्रय वाले लोगों को भोजन परोसा जा रहा है, जहां सभी के लिए भोजन एक ही स्थान पर पकाया जा रहा है।
इस इलाके में मदरसे की रसोई को कम्यूनिटी किचन में तब्दील किया गया है। यहां से खाना चर्च और मंदिर में सप्लाई किया जाता है। खाना बनाने का सारा सामान इस शहर के लोग दे रहे हैं।
तिब्बती भिक्षुओं ने भी लोगों की मदद के लिए पीने का पानी और चटाई मुहैया कराई है। लगातार हो रही बारिश से लोगों को परेशान तो जरूर हो रही है लेकिन कोई भी मदद के लिए पीछे नहीं है।
14 अगस्त से लगातार बारिश से राज्य में भूस्खलन और बाढ़ आ गई है। 15 अगस्त को कोडागु, दक्षिणी कन्नड़, हांसन, चिकममागलुरु और शिवमोग्गा नामक पांच जिलों में चेतावनी जारी की गई थी।
फादर एडवर्ड विलियम सल्दान्हा के अनुसार, यहां राम मंदिर है, चर्च भी है और मस्जिद भी तीनों जगहों पर ठहरे लोगों के लिए एक ही जगह खाना बन रहा है। कोई भी यहां न तो जाति के नाम पर भेदभाव कर रहा है और न धर्म के नाम पर। लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं। कई स्वयंसेवक और मददगार लोग यह पूछ रहे हैं कि हमें और किस चीज की जरूरत है।