प्रयागराज कुंभ में 24 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद 77 साल के मोहम्मद महमूद पैर फैलाकर प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठे हुए हैं। गंगा किनारे बैठकर वह आराम से आस्था को महसूस कर रहे हैं।
वह हर बार कुंभ में यहां आते हैं। उन्होंने कहा कि उनके लिए धन मायने नहीं रखता। वह रुपयों से ज्यादा अध्यात्म और सम्मान पाने के लिए इच्छुक हैं। मोहम्मद महमूद बीते 33 वर्षों से सुप्रसिद्ध जूना अखाड़े में लाइटिंग का काम करते आ रहे हैं।
Beauty that is India
Hindu – Muslim Unity.#IndianPluralism
Meet ‘Mullah Ji’, the Muzaffarnagar Man Who Lights Up Kumbh for Sadhus https://t.co/x5K29gp07u
— Rahul Easwar (@RahulEaswar) January 16, 2019
‘मुल्ला जी लाइट वाले’ के नाम से भी मशहूर मोहम्मद महमूद वेस्टर्न यूपी के मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। टेक्नॉलजी के इस दौर में अखाड़ों के टेंट भी सामान्य से महाराजा स्टाइल तक पहुंच गए हैं लेकिन टेक्नॉलजी भी इस बूढे़ लाइटवाले को दृढ़ संकल्प को नहीं हिला पाई। वह आज भी दूसरों से अलग नजर आते हैं।
मोहम्मद महमूद ने बताया, ‘मैं एक इलेक्ट्रिशन हूं और मेरे कौशल को कुंभ के दौरान रात में देखा जा सकता है, जब पूरे क्षेत्र में साधुओं ने अपने तंबू गाड़ रखे हैं। सभी टेंट रंगीन लाइटों की चमकदार रोशनी से सराबोर हैं।’
This is an ideal example of Ganga Jamuni Culture. A devout Muslim from riot famous Muzaffarnagar stays with Sadhus in Kumbh lighting their area. #KumbhMela2019#KumbhMela #Kumbh #india #Islam #Hindu #KumbhWithIndiaToday #KumbhCalls @veeshoo #IndiaFirst https://t.co/T2AZlb9x37
— Major Amit Bansal (@majoramitbansal) January 15, 2019
अपनी 33 साल की यात्रा के बारे में मुल्लाजी ने बताया, ‘मैं 33 साल पहले जूना अखाड़े के साधुओं के संपर्क में आया। तब मैं जवान था और मुझे अखाड़ा संस्कृति का कोई अनुभव भी नहीं था। समय बीतने के साथ मैं साधु-संतों के रहन-सहन और उनकी संस्कृति से भली-भांति परिचित हो गया। जैसे ही कुंभ नजदीक आता है, अखाड़े से साधु मुझे लाइटिंग का काम करने के लिए सूचना भेज देते हैं।’
मुल्लाजी ने बताया, ‘साधु मुझे एक परिवार की तरह ही सम्मान देते हैं। मुझे यहां काम करने के लिए रुपये मिलते हैं लेकिन मेरे लिए अध्यात्मिक अनुभव ज्यादा महत्व रखता है। मैंने साधुओं की संगत में रहकर कई अच्छी बातें सीखी हैं। मैं कुंभ का हिस्सा बनकर खुद पर गर्व और खुशी महसूस करता हूं।’
उन्होंने बताया, ‘कुंभ में साधु मुझे नमाज पढ़ने के लिए जगह भी देते हैं। उनके टेंट और कुंभ क्षेत्र में कहीं भी मुझे किसी प्रकार का धार्मिक भेदभाव महसूस नहीं होता है। सभी साधु मेरे साथ बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं। जो खाना वे खाते हैं, वही खाना मुझे भी खाने को दिया जाता है। यहां के खाने में भी आध्यत्मिक अनुभव होता है।’
अपने जीवन के बारे में महमूद ने बताया कि उनकी मुजफ्फरनगर में सरबर गेट में इलेक्ट्रिशन की दुकान है। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। बेटा उनके साथ दुकान में काम करता है। वे मुजफ्फरनगर में भी कई हिंदू त्योहारों पर लाइटिंग का काम करते हैं। उन्हें लोग मुल्लाजी लाइटवाले के नाम से जानते हैं।
साभार- ‘नवभारत टाइम्स’