सादिया ने प्रेस कांफ्रेस कर कई खुलासे किए। सादिया ने कहा कि मैंने पूछताछ के दौरान पुलिस वालों को अपना परिचय दिया कि मैं सादिया हूं और पुणे की रहने वाली हूं। उन्होंने मेरी और मेरे बैग को चेक किया। जब उन्हें मेरे बैग में कुछ नहीं मिला तो वो लोग मुझे पुलिस स्टेशन ले गए। उन्होंने मेरा मोबाइल फोन भी ले लिया और मुझसे फोन को खोलने के लिए पासवर्ड भी पूछा और जांच शुरू कर दी। फिर मुझे महिला पुलिस स्टेशन ले गए जहां कई एजेंसी के लोग आए और मुझसे पूछताछ की।
मैंने उन्हें अपने एडमिशन की बात बताई। लेकिन जब उन्हें कुछ नहीं मिला तब उन्होंने मुझे छोड़ दिया और जाने दिया। बात चीत के दौरान सादिया ने कहा कि पिछले दिनों मेरे साथ जो भी कुछ हुआ है मैं उसे याद नहीं करना चाहती बल्कि मैं बस पढ़ना चाहती हूं।
सादिया ने बताया कि दिसंबर 2015 में पुणे के कुछ युवा फेसबुक के जरिए आईएस की आइडियोलोजी से प्रभावित हुए थे। पुणे स्थित महाराष्ट्र एंटी टेरेरिस्ट स्काव्यड (ATS) ने तभी सादिया की पहचान की थी। उस समय सादिया 16 साल की थी। उस समय सादिया सीरिया जाने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो गई थीं तब एटीएस ने उसकी काउंसिलिंग की थी। सादिया ने स्वीकार किया कि वह प्रभावित हुई थी लेकिन तब मैं 12वीं की छात्रा थी।