Labour Day: पैगम्बर मुहम्मद (PBUH) का हुक्म है कि पसीना सुख जाने से पहले मजदूरी दी जाएँ

पूरी दुनिया आज के दिन को लेबर डे के रूप में मनाती है लेबर डे मनाने के पीछे मक़सद मजदूर हितो की और उनके अधिकार से रूबरू होना है .ईस्लाम मज़हब ऊच और नीच का भेद नही करता है यही ईस्लाम की खासियत है

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ईस्लाम खासतौर पे मजदूर और दबे कुचले लोगो के हितो की बात मुसलमान और गैर मुस्लिम का भेद कियें बिना करता है .

पैगम्बर मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने मुसलमानों को हिदायत दी है मजदूरी करने वाले इंसान से उसको पूरी इज्ज़त के साथ पेश आना है इसलियें जब अरब में गुलामी प्रथा बहुत ज्यादा थी तो उन्होंने गुलाम को आज़ाद करने को बडी नेकी बताया .

पैगम्बर मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने सारे मुसलमानों को मजदूर का पसीना सूखने से पहले मजदूरी देने का हुक्म किया है उन्होंने मुसलमानों को मजदूरों के साथ अपने भाई जैसा समझने की हिदायत दी है .साथ ही मजदूरी कम से कम इतनी देनी है जिससे मजदूर अपने परिवार का खर्चा उठा सके .पैगम्बर मुहम्मद ने अगर मजदूरों को काम में छुट कोई देता है तो ये उसको इसका फल मिलेगा .

मजदूर मुसलमानों के लियें भी पैगम्बर मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) का हुक्म है कि वो काम जितना कर सकते है उतना उन्हें ज़रूर करना चाहिये ,किसी तरह की जान बुझकर किया गया आलस गलत है .

हजरत आयशा से रिवायत है कि पैगम्बर मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) खुद मजदूरों के साथ खुद भी काम करते थे .

औरत और मर्द की एक ही तनख्वाव होनी चाहियें

मुस्लिम देशो के मानवाधिकारों के संघठन इंटरनेशनल आर्गेनाईजेशन ने Cairo Declaration on Human Rights in Islam, के तहत मजदूरी देने में औरत और मर्द को अलग अलग मजदूरी को गलत बताते हुयें मर्द और औरत को एक ही मजदूरी देने की बात कही गयी है .
यदि कोई महिला माँ बनने वाली है तो भी उसको मजदूरी देना है साथ ही उसको ये अधिकार है कि वो छुट्टी ले सके .

आर्टिकल सिआसत हिन्दी के लियें Imroz Khan द्वारा लिखा गया है