देश में किसके अच्छे दिन आए हों और किसके नहीं, यह अलग बात है लेकिन योग गुरु बाबा रामदेव के अच्छे दिन ज़रूर चल रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि मोदी-योगी सरकार में ही रामदेव की लॉटरी लगी है, बल्कि यूपी में पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार में भी रामदेव पर कम कृपया नहीं बरसी।
दरअसल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बाबा रामदेव को फ़ूड पार्क खोलने के लिए कुल 455 एकड़ की जमीन पतंजलि योगपीठ के नाम की थी। इस जमीन की मौजूदा कीमत तकरीबन 1000 हजार करोड़ रुपये है।
खबर के मुताबिक़, अखिलेश सरकार की तरफ से रामदेव को यूपी के यमुना एक्सप्रेस-वे से सटे इलाके में ‘पतंजलि योगपीठ फ़ूड पार्क और विश्वविद्यालय'(patanjali food park) बनाने के खोलने की बात कही थी।
लेकिन अब बाबा पर इस ज़मीन पर कब्ज़ा करने का आरोप लग रहा है। यह ज़मीन रामदेव को अखिलेश यादव ने बतौर तोहफा दी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, 30 नवम्बर, 2016 को अखिलेश यादव द्वारा फ़ूड पार्क का शिलान्यास भी किया जा चुका है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, फ़ूड पार्क की जमीन पर अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है। जबकि पतंजलि की ओर से कहा गया था कि, फ़ूड पार्क मार्च, 2018 से काम करना शुरू कर देगा।
हालाँकि यमुना एक्सप्रेस-वे पर 455 एकड़ की जमीन खुद पतंजलि योगपीठ ने ही चुनी है।
अब इसके साथ ही इस भूमि आवंटन को पूर्व सपा सरकार का बाबा रामदेव के साथ मिलकर जमीन घोटाला भी कहा जा रहा है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पतंजलि योगपीठ को भूमि का आवंटन गैर-कानूनी तरीके से किया गया है। जमीन के आवंटन के लिए भी सरकार द्वारा कोई प्रक्रिया पूरी नहीं की गयी।
वहीँ पतंजलि योगपीठ द्वारा जमीन पर अधिग्रहण किया जा चुका है लेकिन काम की शुरुआत नहीं हुई है। जिसके बाद सवाल उठता है कि, 1000 करोड़ की जमीन कौड़ियों के दाम में गैर-कानूनी तरीके से बाबा रामदेव को क्यों दी गयी?
गौरतलब है कि, पतंजलि ने मार्च 2018 से फ़ूड पार्क शुरू होने की बात कही थी।
पतंजलि के प्रवक्ता ने जानकारी दी थी कि, फ़ूड पार्क में 1600 करोड़ का निवेश किया जायेगा। जिससे करीब 50 हजार किसानों के लाभान्वित होने की भी बात कही गयी थी।
साथ ही यह भी कहा गया था कि, इस फ़ूड पार्क से करीब 10 हजार भर्तियाँ भी निकलेंगी। लेकिन ये सभी दावे बेकार साबित हो रहे हैं क्योंकि फ़ूड पार्क शिलान्यास के बाद निर्माण की राह देख रहा है।
मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संज्ञान लेना चाहिए।