दिल्ली में हर रोज निकलने वाले कूड़ा पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी किया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि राजधानी दिल्ली में लोगों के लिए जो जमीन है उससे ज्यादा कूड़ा है। कोर्ट ने यह टिप्पणी न्यूजपेपर में दिखाए गए कूड़ा को देखकर टिप्पणी किया है।
हाईकोर्ट की मुख्य न्यायधीश गीता मित्तल और जस्टिस सी. हरि शंकर की बेंच ने कहा कि राजधानी की सफाई के लिए इच्छा शक्ति की जरूरत है। आदेश के अनुपालन से पहले आदेश को पढ़ने की जरूरत है।
इसके बाद कोर्ट में एमसीडी कमिश्नरों की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल से कहा है कि अगर चौथे फाइनैंस कमिशन की सिफारिशों का दिल्ली सरकार द्वारा नहीं किया जाता तो कंटेप्ट पिटिशन आप दाखिल कर सकते हैं। 2009 में सिविक एजेंसी के फाइनैंशल स्थिति को रिव्यू करने के लिए कमिशन बनाया गया था।
इसके अलावा कोर्ट ने सिविक एजेंसी से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के बारे में भी जानकारी मांगी है। अदालत ने कूड़ा उठाने वाले शख्स की मौत के मामले में सवाल किया। इसके कूड़ा उठाने वाले की बिजली के तार से मौत हो गई थी। वहीं एक अन्य मामले में डीडीए के ओर से किए गए गड्ढे में गिरने से एक बच्चे की मौत हो गई थी। इन दोनों घटनाओं के बारे में अदालत ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी।
बता दें कि कोर्ट ने 27 जून तक इस मामले में एमसीडी से रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने कहा कि समय आ गया है कि हमें अपने काम के तरीके को बदलना होगा, हम और बच्चों के मरने का इंतजार नहीं कर सकते।