सीआईएसएफ में मु्स्लिम युवती की चोटों की वजह से 3 साल विलम्ब से हुई भर्ती, उच्च न्यायालय ने दिया जॉइनिंग का आदेश

अल्पसंख्यक समुदाय की युवती को सीआईएसएफ जॉइन कराने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने एक असाधारण फैसला दिया है। टॉपर होने के बावजूद एक रूढ़िवादी परिवार से आने वाली मुस्लिम लड़की अपनी चोटों की वजह से सीआईएसएफ जॉइन नहीं कर पाई थी।

अब वह 3 साल लेट हो गई है लेकिन कोर्ट ने उसके हक में फैसला सुनाते हुए उसे फोर्स जॉइन करने इजाजत दे दी है। कोर्ट का कहना है कि लड़की न सिर्फ अपने समुदाय के लिए एक मिसाल होगी बल्कि हर महिला को प्रेरित करेगी।

जज हिमा कोहली और प्रतिभा रानी की बेंच ने सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्यॉरिटी फोर्सेस को आदेश दिया है कि 2015 के सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स एग्जाम (सीएपीएफ) के टॉपरों में से एक रहीं नूर फातिमा को फोर्स जॉइन कराई जाए। नूर फातिमा कुछ गंभीर चोटों की वजह से जॉइनिंग के समय बेड रेस्ट पर थीं।

फातिमा का परिवार नहीं चाहता था कि वह काम करें। परिजन चाहते थे कि वह शादी कर लें। उधर, चोटों के कारण जॉइनिंग की आखिरी तारीख मिस हो जाने के कारण सीआईएसएफ ने उन्हें भर्ती नहीं किया, जिसके बाद उन्होंने कोर्ट का रुख किया।

मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने कहा, ‘हमें लगता है कि इस केस में हमारा दखल सही है क्योंकि याचिकाकर्ता को जो नुकसान हुआ, उम्रभर नहीं भरा जा सकता था। यदि याचिकाकर्ता को फोर्स में जॉइनिंग दी जाती है तो वह महिलाओं और समुदाय के लिए उदाहरण साबित होंगी।’

कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता युवा मुस्लिम हैं और एक रूढ़िवादी परिवार से ताल्लुक रखती हैं। वह उत्तर प्रदेश के जालोन जिले से हैं और सीआईएसएफ में जाने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी। परीक्षा में फातिमा का प्रदर्शन भी बेहतरीन था।

अपनी याचिका में फातिमा ने साफ तौर पर यह स्पष्ट कर दिया था कि अपने सपने पूरे करने में उन्हें परिवार से कोई सपॉर्ट नहीं मिला और जॉइनिंग के महज 10 दिन पहले उनका टकना चोटिल हो गया और डॉक्टरों ने 3 हफ्ते का बेड रेस्ट करने के लिए कहा।