मोदी के सत्ता में आने के बाद राजनीति का स्तर गिर गया है: मीरा कुमार

लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा है कि भारत में विकास और समानता की बात तब तक बेमानी है जब तक यहाँ आर्थिक और सामाजिक शोषण पर रोक नहीं लगती।
कोलकाता में जनसत्ता से बातचीत करते हुए मीरा से जब देश के मौजूदा राजनीति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि केंद्र में बैठी सरकार को ये समझना होगा कि भारत एक बहुधर्मी देश हैं और यहाँ हर धर्म के लोगों को सुरक्षा दी जानी चाहिए।
मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल से लगता है कि राजनीति के स्तर में गिरावट आई है।
साल 2014 के पहले देश में सिद्धांत आधारित राजनीति होती थी लेकिन अब व्यक्ति आधारित राजनीति हो रही है।

हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने जिस तरह से प्रचार किया है। हर जगह मोदी-मोदी ही सुनने में आ रहा था लेकिन फिर भी कांग्रेस ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। बाकी चुनाव में हार-जीत होती रहती है। हार से निराश होने की जगह उन्हें इस बात पर विचार करना चाहिए कि हार क्यों हुई? जनता ने उन्हें क्यों नकारा?
पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी। मणिपुर और गोवा में हम पहले नंबर पर रहे। लेकिन बीजेपी की जोड़तोड़ की राजनीति के कारण कांग्रेस को सरकार बनाने के मौका ही नहीं मिला।
जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि सचमुच में बीजेपी का प्रभाव बढ़ रहा है तो जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्रभाव बीजेपी का नहीं पीएम मोदी का बढ़ रहा है।
देश की राजनीति नरेंद्र मोदी और अमित शाह की इर्द-गिर्द घूम रही है, जिसे राजनीतिक नजरिए से सही नहीं माना जा सकता।

विपक्ष के कमजोर होने के पीछे का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि देश में इन दिनों मोदी हवा जरूर चल रही है। लेकिन जब ये निकलगी तो वे सब जमीन पर ही आएंगे। इस के साथ सभी राजनीतिक दलों को आत्ममंथन करने की जरूरत है।
ईवीएम गड़बड़ी मामले में उन्होंने कहा कि जब सभी राजनीतिक दल उंगली उठा रहे हैं तो इसकी जांच होनी चाहिए।
लोसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा करना सही नहीं होगा क्यूंकि इसके लिए बहुत बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की जरूरत पड़ेगी।

सवाल : आपको लगता है कि लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए?
’नहीं। लोकसभा व विधानसभा का चुनाव एक साथ कराना संभव नहीं है, क्योंकि इसके लिए बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की जरूरत पड़ेगी। इस वजह से ये दोनों चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कराना संभव नहीं हो पाएगा।