लालकृष्ण आडवानी राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर!

अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर हो गए हैं। आंदोलन में उनके साथ रहे मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सरीखे नेताओं के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो गई है।

 

मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद लोगों का मानना है कि जिस प्रकार भारतीय जनता पार्टी को खड़ा करने के लिए आडवाणी ने दिन रात मेहनत की और उसको इस स्थिति तक पहुंचाया कि आज देश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है, उसको देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को उन्हें कम से कम राष्ट्रपति बनाकर उनका सम्मान करना चाहिए।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा आडवाणी समेत भाजपा और विहिप के 14 नेताओं पर अयोध्या में ी मस्जिद ढहाने की साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश देने के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं। इस मामले से भले ही आडवाणी को बरी कर दिया जाए लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मुकदमा पूरा करने का समय निर्धारित किया गया है और राष्ट्रपति के चयन के संबंध में बहुत देर हो चुकी है। जुलाई 2017 में प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल खत्म हो रहा है।

 

नरेन्द्र मोदी सरकार में मंत्री उमा भारती को आपराधिक मुकदमे का सामना करते हुए मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट का निर्देश पूर्व में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के लिए एक ठहराव के रूप में है जो पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं जिन्हें मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद मंडल में भेज दिया था।

 

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि ट्रायल दो साल में पूरा किया जाना चाहिए और अंतिम निर्णय अगले आम चुनाव से पहले ही आएगा। ऐसे कई लोग हैं जो मानते हैं कि आडवाणी देश के राष्ट्रपति बनने के लिए वास्तव में एक गंभीर दावेदार नहीं थे। अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बीमार हैं, क्या मोदी उस स्थिति में आडवाणी को राष्ट्रपति बनाने का जोखिम उठाएंगे।

 

आडवाणी ने साल 2014 के चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में मोदी का विरोध किया था। लेकिन कुछ कारणों से आडवाणी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए संभावित दावेदार के रूप में सामने आया था। हाल ही भुवनेश्वर में भाजपा संसदीय दल की बैठक में आडवाणी को प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के पास देखा गया।

 

चर्चा यह थी कि नरेंद्र मोदी अपने पूर्व गुरु को गुरुदक्षिणा के रूप में उन्हें राष्ट्रपति बना सकते हैं। लेकिन अब आडवाणी इस दौड़ से बाहर ही हैं। उधर, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि सीबीआई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नियंत्रण में है। उन्होंने इसका इस्तेमाल कर आडवाणी को राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर कर दिया है जो सोची-समझी राजनीति है।

 

 

माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद राष्ट्रपति पद को लेकर उनके नाम पर विवाद हो, विपक्ष उनकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए उनके खिलाफ दाखिल चार्जशीट को मुद्दा बनाएगा। इन सबको देखते हुए लगता है कि प्रधानमंत्री की तरह उनके राष्ट्रपति बनने का सपना भी अधूरा रह गया है।

 

इस फैसले का राजनीतिक असर अभी से दिखना शुरू हो गया है। फैसला आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शीर्ष नेतृत्व ने लंबी बैठक कर हर पहलू पर विचार किया।