उर्दू में लिखी आरटीआई आवेदन का जवाब न दिए जाने पर केंद्रीय सूचना आयोग ने लोकसभा सेक्रेटरी से जवाब तलब किया है।
ख़बर के मुताबिक, लोकसभा के कामकाज और जनता के शिकायत के संबंध में लिखी गई उर्दू आरटीआई आवेदन का जवाब पिछले चार बरस में नहीं दिया गया है।
उर्दू के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था ” उर्दू विकास संगठन’ ने लोकसभा सेक्रेटरी को उर्दू में लिखी कई आवेदन भेजे थे, लेकिन उनमें से एक भी आवेदन का जवाब नहीं दिया गया।
दरअसल ‘उर्दू विकास संगठन’ ने सात साल पहले लोकसभा को उर्दू में आवेदन कर पूछा था कि सार्वजनिक शिकायतों के निपटारे के लिए उनके पास क्या योजना है?
लेकिन लोकसभा ने उनकी उर्दू आवेदन का कोई जवाब नहीं दिया। संगठन ने 2013 में उर्दू में एक और आवेदन देकर अपने प्रश्न को दोहराया, लेकिन इस बार भी लोकसभा सेक्रेटरी द्वारा इसका भी कोई जवाब नहीं दिया गया।
बता दें कि उर्दू विकास संगठन अतीत में भी कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। संगठन उर्दू में भरे हुए चेक और आयकर रिटर्न (आई टी आर) को भी पारित कराने में सफल रही है।
इस मामले में भी संगठन ने हार नहीं मानी। उर्दू में जवाब न मिलने के बाद संगठन ने आरटीआई के तहत हिंदी में कई आवेदन लोकसभा सेक्रेटरी को भेजी, लेकिन लोकसभा सचिव से जो जवाब दिया गया वह न केवल अपर्याप्त है बल्कि कई मंत्रालयों की ओर मोड़कर उसे अधिक जटिल बनाने की कोशिश की गई।
संगठन की शिकायत के बाद अब इस मामले में केन्द्रीय सूचना आयोग ने लोकसभा सचिव से जवाब तलब किया है।
केंद्रीय सूचना आयोग ने लोकसभा से पूछा है कि उसने संगठन द्वारा मांगी गई जानकारी अभी तक क्यों नहीं दी।
संगठन को उम्मीद है कि केंद्रीय सूचना आयोग के हस्तक्षेप के बाद संसद में उर्दू के उपयोग के संबंध में कई महत्वपूर्ण जानकारी निकलकर सामने आएंगी।