मध्य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा की मुसीबत फिर बढ़ सकती है। पेड न्यूज के मामले में मिश्रा को कसूरवार ठहरा चुके निर्वाचन आयोग ने उनके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दे दी है।
निर्वाचन आयोग के मुताबिक, मिश्रा चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं। उनका विधायक होना संदेह के घेरे में है, फिर भी वे मंत्री पद पर बने हुए हैं। आयोग के फैसले से एक नुकसान जरूर हुआ था कि वे राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर पाए थे।
दिल्ली उच्च न्यायालय की एक युगलपीठ ने मिश्रा के खिलाफ आयोग के फैसले को खारिज कर दिया था। आयोग ने यह फैसला चुनाव में मिश्रा से पराजित हुए उम्मीदवार राजेंद्र भारती द्वारा दायर याचिका पर दिया था। आयोग ने पेड न्यूज के मामले में उन्हें दोषी पाया था।
मिश्रा वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में दतिया विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। मिश्रा से पराजित हुए उम्मीदवार राजेंद्र भारती ने निर्वाचन आयोग में मिश्रा के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए पेड न्यूज के उपयोग का आरोप लगाया था।
पेड न्यूज के कुल 42 मामले सामने आए थे। आयोग ने इस मामले पर वर्ष 2017 में मिश्रा को तीन साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया था। मिश्रा ने आयोग के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ, फिर जबलपुर उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय होते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय गए, जहां से उन्हें राहत मिल गई।
इसके बाद भारती ने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील नहीं की, लेकिन अब आयोग ने स्वयं पहल की है। दिल्ली उच्च न्यायालय से मिली राहत अगर छिन गई, तो मंत्री मिश्रा चार महीने बाद होने वाला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।