रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे ज़ुल्म की मलाला ने की निंदा, सभी देशों से मदद की अपील

म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के ख़िलाफ हिंसा जारी है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों ने नोबेल पुरस्कार विजेता और म्यांमार के नेता आंग सान सु की निंदा की है।

पाकिस्तान की नोबेल पुरस्कार विजेता और महिला शिक्षा कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई भी अब रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के समर्थन में उतर आई हैं। उन्होंने रोहिंग्या पर हो रहे अत्याचारों की आलोचना की है।

हिंसा को ख़त्म करने की अपील करते हुए मलाला ने कहा कि उन्होंने उन मासूमों की तस्वीरें देखी हैं जिन्हें म्यांमार के सुरक्षा बलों द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया। जबकि इन बच्चों ने तो किसी पर भी हमला नहीं किया था, फिर भी उनके घर जला दिए गए।

मालाला ने म्यांमार से अपील की कि रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता दी जाए क्योंकि यहां वह (रोहिंग्या) पैदा हुए। मलाला ने पूछा अगर रोहिंग्या मुसलमानों का घर म्यांमार नहीं है, जहां वह पीढ़ी तक रहे हैं, तो फिर कहां है?

मालाल ने अन्य देशों से भी रोहिंग्या मुसलमानों की मदद करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हिंसा की वजह से जो म्यांमार छोड़कर चले गए हैं उन्हें खाना, आश्रय और शिक्षा देकर उनकी मदद की जाए। मलाला ने कहा कि मेरे देश पाकिस्तान सहित अन्य देशों को बांग्लादेश के उदाहरण का पालन करना चाहिए।

पिछले कई सालों में, मैंने बार-बार इस दुखद और शर्मनाक बरताव की निंदा की है। मैं अभी भी अपने साथी नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सु की का इंतेजार कर रही हूं कि वह भी इस अत्याचार की निंदा करें करें। दुनिया इंतजार कर रही है और रोहंग्या मुसलमान भी।

ग़ौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) के मुताबिक, पिछले सप्ताह म्यांमार के उत्तर-पश्चिम में रोहिंग्या-बहुसंख्यक इलाकों में 2,600 से ज़्यादा घर जला दिए गए और लगभग 58,600 रोहिंगिया म्यांमार से पड़ोसी देश बांग्लादेश भाग गए।