मालदीव ने सऊदी अरब, चीन और पाक को भेजे दूत, भारत की अनदेखी

केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि मालदीव में विकास परियोजनाओं में भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं और इन्हें तेजी से लागू किया जा रहा है।

लोकसभा में गुरुवार को पेश विदेश मामलों संबंधी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने समिति को बताया कि मालदीव सरकार के परामर्श से तथा उनकी प्राथमिकताओं के आधार पर बकाया रिणों के वितरण सहित तकनीकी तथा वित्तीय सहायता संबंधी प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाया जाता है। सरकार ने संसद की समिति के समक्ष यह जवाब ऐसे समय में दिया है जब मालदीव में अस्थिरता की स्थिति है और पिछले कुछ समय से भारत और मालदीव में रिश्तों में पहले जैसी गर्माहट नहीं होने की खबरें आ रही हैं।

रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि वह यह नोट करके प्रसन्न है कि मालदीव को सहायता के तहत 2017-18 के बजट अनुमान में 75 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है तथा रिण एवं अग्रिम धनराशि के तहत आवंटन 170 करोड़ रुपये बढ़ाया गया है।

विशेष दूत के यात्रा का पहला पड़ाव था भारत : मालदीव
मालदीव के दूत ने गुरुवार को कहा कि उनके देश के राष्ट्रपति के विशेष दूत की विदेश यात्रा की जो योजना बनी थी, उसका पहला पड़ाव भारत था लेकिन भारतीय नेतृत्व के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कारण ऐसा नहीं हो पाया।

उनका बयान इस पृष्ठभूमि में आया है कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अपने देश में गहराते राजनीतिक संकट के बारे में विस्तार से बताने के लिए चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब विशेष दूत भेज रहे हैं। यहां मालदीव के दूत अहमद मोहम्मद ने कहा, मालदीव के राष्ट्रपति के विशेष दूत की प्रस्तावित यात्रा की योजना के हिसाब से भारत वाकई पहला ठहराव था। लेकिन प्रस्तावित तारीखें भारतीय नेतृत्व के लिए उपयुक्त नहीं थीं। राष्ट्रपति यामीन ने अपने देश के संकट के मद्देनजर आर्थिक विकास मंत्री मोहम्मद सईद को चीन और विदेश मंत्री मोहम्मद आसिम को पाकिस्तान भेजा है। मात्स्यिकी और कृषि मंत्री मोहम्मद सैनी सऊदी अरब जा रहे हैं।