मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी कर्नल पुरोहित की याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार!

2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी कर्नल श्रीकांत पुरोहित की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया है। जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने मंगलवार को पुरोहित की याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि मामला ट्रायल कोर्ट में है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं दे सकता, इसलिए आपको जो कहना है, ट्रायल कोर्ट में जाकर कहें।

दरअसल,पुरोहित ने अपनी याचिका में खुद को साजिश के तहत फंसाए जाने का आरोप लगाते हुए कोर्ट की निगरानी में SIT जांच की मांग की थी। पिछली सुनवाई में जस्टिस यू यू ललित ने पुरोहित की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

आपको बता दें कि इससे पहले पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने ऊपर लगे गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) को चुनौती दी थी।

इससे पहले बाम्बे हाईकोर्ट ने मामले में कर्नल पुरोहित और समीर कुलकर्णी की याचिका को खारिज कर दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल इंन्वेसिटिगेशन एजेंसी (NIA) और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भेज कर चार हफ्तों के अंदर जवाब देने के लिए कहा था।

पिछले साल मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी कर्नल श्रीकांत पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी। कर्नल पुरोहित पिछले 9 साल से जेल में थे। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए जमानत दी थी. पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया था।

पुरोहित ने एटीएस पर उन्हें फंसाने का आरोप लगाया था। एनआईए और सरकार के वकीलों ने कहा था कर्नल पुरोहित इस मामले में मुख्य आरोपी है उन्हें जमानत नहीं दी जाए।

एनआईए ने जांच प्रभावित होने का दावा किया था,लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया था कि मामले की जांच के दौरान लंबे समय तक आरोपी को जेल में रखा गया था।

गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था जिसमें आठ लोगों की मौत हुई थी और तकरीबन 80 लोग जख्मी हो गए थे। साध्वी और पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वे जेल में हैं।

जांच एजेंसी के मुताबिक, विस्फोट को दक्षिणपंथी संगठन अभिनव भारत ने कथित तौर पर अंजाम दिया था। एनआईए के मुताबिक, पुरोहित ने साजिश रचने वाली बैठकों में सक्रियता से हिस्सा लिया है और वहविस्फोट में इस्तेमाल करने के लिए विस्फोट का इंतजाम करने को भी राजी हो गया था।

पुरोहित ने दलील दी थी कि एनआईए कुछ आरोपियों को आरोपमुक्त करने में भेदभाव कर रही है और एजेंसी ने उसे मामले में बलि का बकरा बनाया है।