सुप्रीम कोर्ट के फैसले का साइड इफेक्ट : पत्नी ने खुद की जान ली, पति सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ अपना बचाव किया

चेन्नै : हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अडल्टरी अब अपराध नहीं है लेकिन अब इस फैसले के साइड इफेक्ट दिखने शुरू हो गए हैं। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नै में एक 24 साल की विवाहिता ने खुदकुशी कर ली क्योंकि उसके पति ने उससे कहा कि वह अब उसे एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर करने से रोक नहीं सकती, क्योंकि अब यह संवैधानिक हो गया है। मृतका का नाम पुष्पालता है, जिन्होंने अपने सूइसाइड नोट में भी खुदकुशी की वजह भी यही बात लिखी। पुलिस ने इस नोट को जब्त कर लिया है और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस अब उसके पति जॉन पॉल फ्रैंकलिन (27) से पूछताछ कर रही है। जो एक पार्क में सिक्यॉरिटी गार्ड है।

पुलिस ने बताया कि दंपती की शादी दो साल पहले हुई थी। उस दौरान दोनों ने परिवार के खिलाफ जाकर शादी की थी। कुछ समय बाद पुष्पालता टीबी की शिकार हो गईं और जॉन ने उनसे दूरी बना ली। जॉन के एक दोस्त से पुष्पा को अपने पति के एकस्ट्रा मैरिटल अफेयर की बात पता चली। उसके बाद पुष्पा ने जॉन से उस महिला से दूर रहने को कहा। इस पर जॉन ने जवाब दिया कि वह उसके खिलाफ केस नहीं करा सकती क्योंकि सुप्रीम कोर्ट विवाहेत्तर संबंध को अपराध नहीं बताया है।

क्या था अडल्टरी कानून?
आईपीसी की धारा-497 में अडल्टरी कानून के बारे में व्याख्या की गई थी। एडवोकेट अमन सरीन बताते हैं कि आईपीसी की धारा-497 के तहत प्रावधान था कि अगर कोई शख्स किसी शादीशुदा महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, तो ऐसे मामले में उक्त शख्स के खिलाफ अडल्टरी मामले की शिकायत की जा सकती है।

यानी शादीशुदा महिला की सहमति से अगर कोई गैर-मर्द उससे शारीरिक संबंध बनाता है, तो महिला का पति ऐसे मामले में शिकायती हो सकता है। पति की शिकायत पर महिला के साथ संबंध बनाने वाले के खिलाफ आईपीसी की धारा-497 के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है। गौर करने वाली बात यह है कि अडल्टरी मामले में शिकायती सिर्फ पति हो सकता था, पत्नी नहीं। कानूनी जानकार बताते हैं कि पति द्वारा इस तरह की हरकत किए जाने के आधार पर महिला अपने पति के खिलाफ इस आधार पर तलाक ले सकती है लेकिन केस दर्ज नहीं करा सकती।

महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार के मामले में कई कानून बनाए गए। इसके तहत 2013 में एंटी-रेप लॉ भी बनाया गया है। महिलाओं को प्रोटेक्ट करने के लिए दूसरे कानूनी प्रावधान भी हैं। लेकिन अडल्टरी (अवैध संबंध) मामले में महिला को शिकायत का अधिकार नहीं था यानी अडल्टरी के मामले में सिर्फ पति शिकायती हो सकता था। यानी अगर किसी महिला का पति किसी दूसरी महिला के साथ संबंध बनाए और इस दूसरी महिला की सहमति हो, तो फिर ऐसे मामले में महिला अपने पति या फिर उक्त दूसरी महिला के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं करा सकती।

कानूनी तौर पर अडल्टरी के मामले में शिकायती सिर्फ पति हो सकता है, पत्नी नहीं। यानी महिला के पति या उससे संबंध बनाने वाली महिला के खिलाफ कोई क्रिमिनल केस दर्ज किए जाने का कोई प्रावधान नहीं था। दूसरा झोल यह था कि महिला के पति की मंजूरी हो और तब महिला किसी और से संबंध बनाए, तो वह अपराध नहीं था। साथ ही पति सिर्फ दूसरे मर्द पर केस दर्ज करा सकता था, अपनी पत्नी पर नहीं।