‘मन की बात’ में PM मोदी ने मुसलमानों को दी रमज़ान की मुबारकबाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’  के जरिए देश को संबोधित किया और रमजान की मुबारकबाद दी। यह कार्यक्रम का 32वां संस्करण था। इससे पहले प्रधानमंत्री ने 30 अप्रैल को देश को संबोधित किया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान युवाओं से कहा कि वे अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने और रोज नए अनुभव करें। उन्होंने यह भी कहा कि वीआईपी कल्‍चर को खत्‍म कर उसकी जगह ईपीआई (एवरी पर्सन इज इंपॉर्टेंट) कल्चर शुरू करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग इन गर्मियों की छुट्टियों में अलग-अलग काम कर रहे हैं। 5 जून यूं तो एक आम दिन है, लेकिन उस दिन विश्व पर्यावरण दिवस है। उन्होंने कहा कि बैक टू बेसिक्स का मतलब है खुद से जुड़ना। इस बात को महात्मा गांधी से बेहतर कौन जान सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब पंच महाभूतों से संपर्क होता है, तो हमारे शरीर में एक नई अनुभूति होती है। 5 जून को प्रकृति से जुड़ने का अभियान होना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने प्रकृति का संरक्षण किया और हमें भी यही करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध का जन्म और उनका महापरिनिर्वाण पेड़ के नीचे बैठकर हुआ था। हमारे देश में कई पूजा-अर्चना प्रकृति की पूजा का हिस्सा है। दुनिया के लिए अब 21 जून जाना-पहचाना दिन बन गया है। यह दुनिया भर में लोगों को जोड़ रहा है।

इसके बाद उन्होंने कहा कि योग भारत की विश्व को एक देन है। उन्होंने कहा कि आज की जीवनशैली के कारण योग की बेहद जरूरत है।

मोदी ने कहा कि अखबार हों या टीवी चैनल हों, सरकार के तीन साल के कामकाज का लेखाजोखा दिखा रहे है। लोकतंत्र में सरकारों को जनता को अपने कामकाज का हिसाब देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों को भी धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने कमियों को उजागर किया। मैं एक आम नागरिक हूं और मुझपर भी चीजों का असर वैसा ही पड़ता है, जैसा आप लोगों पर है। इसके बाद उन्होंने कहा कि मन की बात से मुझे लगता है कि मैं लोगों के बीच ही बैठा हूं।