मध्यप्रदेश के मंदसौर किसान आंदोलन का दायरा अब और बढ़ता जा रहा है। यह आंदोलन जिस तरह से हिंसक होता जा रहा है वह राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक सबको हिलाकर रख दिया है।
इसके साफ संकेत मिल रहे हैं कि आंदोलन को पूरे देश में ले जाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। शनिवार को इसकी रणनीति बनाने के लिए दिल्ली के गांधी पीस फाउंडेशन में किसानों की एक मीटिंग हुई जिसमें निर्णय लिया गया कि 16 जून को देशभर के नेशनल हाईवे को बंद किया जाएगा।
मध्यप्रदेश के मंदसौर किसान आंदोलन की अगुआई करने वाले राष्ट्रीय किसान मजूदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने कहा है कि उन्हें अफसोस है कि वो कभी आरएसएस का हिस्सा थे। शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी आरएसएस के आनुशांगिक संगठन भारतीय किसान संघ के साथ लंबे समय से जुड़े रहे हैं।
एक अखबार से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मेरा आरएसएस से कोई नाता नहीं रहा है। मुझे बाद में पता चला कि किसान संघ आरएसएस का आनुशांगिक संगठन है। बहुत तकलीफ हुई कि इतने वर्ष हमने अपना वक्त इन लोगों के साथ गंवा दिया। हमने अपनी जवानी के कई वर्ष इन लोगों के साथ लगा दिए जिससे हमें काफी तकलीफ हुई।”
उन्होंने यह भी कहा, “मैं केवल किसान हित की बात करता था और भारतीय किसान संघ के लोग सरकार के अनुकूल चलते थे। यही संघ से टकराव का कारण बना। इसके बाद ही संघ और सरकार को काफी तकलीफ हुई। छह महीने बाद मेरा एनकाउंटर करने का प्रयास भी रायसेन जिले की बरेली तहसील में किया गया।”
वो बताते हैं, “बरेली में 160 किसान और 560 पुलिस वाले थे। अगर सरकार चाहती तो चार-चार पुलिस वाले एक-एक किसान को पकड़ लेते। ऐसा होने पर फायरिंग की सिचुएशन नहीं होती। लेकिन, ऐसा जानबूझकर आर्टिफिशिएल तरीके से बनाया गया। पुलिस वालों ने अपनी आठ वाहनों को एक में सटा कर लगा दिया। फिर 80 राउंड गोली चली। मुझे जेल में डालकर एक दर्जन मुकदमे लगा दिए। इसीलिए मेरा किसान संघ से जुड़ाव खत्म हो गया। वो सरकार जो इस तरह का काम करेगी उसके साथ कैसे काम हो सकता है?”
आरएसएस का अनुवांशिक संगठन भारतीय किसान संघ से अलग होकर राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ की स्थापना करने वाले कक्का जी का कहना है, “हमारा आंदोलन हिंसक नहीं होगा। यह किसानों के हित में चलने वाला देशव्यापी आंदोलन होगा।”
बता दें कि शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के ग्राम मछेरा खुर्द में 28 मई 1952 को हुआ था। एक किसान परिवार में जन्में कक्का जी ने अपनी शिक्षा जबलपुर में पूरी की। जबलपुर विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट और राजनीति शास्त्र में मास्चर करने वाले कक्का जी छात्र राजनीति के दौरान शरद यादव के साथ जुड़े रहे। वे जेपी आंदोलन और इमरजेंसी के दौरान कई बार जेल गए।
कक्का जी 1981 में मध्य प्रदेश सरकार की विधि बोर्ड में सलाहकार के तौर पर काम किया। लेकिन इस दौरान बस्तर में आदिवासियों की जमीन मुक्त करवाने के दौरान रसूखदारों के निशाने पर आ गए। इसके चलते उनका ट्रांसफर भोपाल कर दिया गया।
इसके बाद कक्का जी पूरी तरह किसान आंदोलन से जुड़ गए। वो आरएसएस की किसान संस्था भारतीय किसान संघ में पहले महामंत्री और फिर अध्यक्ष बने।
लेकिन साल 2010 में मध्यप्रदेश में हुए किसान आंदोलन की अगुआई शिवकुमार ने किया और भोपाल को 15 हजार किसानों को साथ लेकर ट्रैक्टर-ट्रालियों से घेर लिया।
इसी अंदोलन के बाद शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी पूरे भारत में पहचाने जाने लगे और किसानों में उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई।