MANUU मुस्तक़बिल करीब में इंग्लिश मीडियम में तब्दील

मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनीवर्सिटी बतदरीज अपने ज़रीए तालीम में तबदीली की तरफ़ पेशक़दमी कर रही है। यूनीवर्सिटी के क़ियाम का मक़सद अगर्चे उर्दू ज़बान की तरक़्क़ी और फ़रोग़ है लेकिन यूनीवर्सिटी के ज़िम्मेदारों ने गुज़िश्ता 17 बरसों के दौरान कभी भी उर्दू ज़रीए तालीम को आम करने पर तवज्जा नहीं दी जिसका नतीजा ये निकला कि आज यूनीवर्सिटी में ज़रीए तालीम 90 फ़ीसद तक अंग्रेज़ी में तबदील हो चुका है।

दिलचस्प बात तो ये है कि टीचिंग स्टाफ़ की अक्सरीयत ग़ैर उर्दूदां है और वो उर्दू में निसाबी कुतुब की अदमे मौजूदगी का बहाना बनाकर अंग्रेज़ी को फ़रोग़ दे रहे हैं। यूनीवर्सिटी के अहम ओहदों पर फ़ाइज़ अफ़राद ने भी इस बात को तस्लीम किया कि साबिक़ में किसी भी वाइस चांसलर ने उर्दू ज़बान में ज़रीए तालीम को आम करने पर तवज्जा नहीं दी।

यूनीवर्सिटी के एक प्रोफ़ेसर ने यहां तक पेश क़यासी की है कि आइन्दा चंद बरसों में यूनीवर्सिटी मुकम्मल तौर पर इंग्लिश मीडियम में तबदील हो जाएगीग। गुज़िश्ता पाँच बरसों के दौरान तक़र्रुरात में की गई मनमानी और धांदलियों के ज़रीए उर्दू को नुक़्सान पहुंचाया गया।

यूनीवर्सिटी के अंदरूनी ज़राए ने बताया कि जिन 15 मराकज़ पर कोचिंग का ऐलान किया गया वहां सिविल सर्विसेस की कोचिंग के काबिल स्टाफ़ मौजूद नहीं सिर्फ रक़ूमात हासिल करने के लिए बराए नाम फ़र्ज़ी कोचिंग का ऐलान कर दिया गया और मुंतख़ब उम्मीदवारों में 20 फ़ीसद तलबा को माहाना 2000/- रुपये इस्टीफेंड की पेशकश की जा रही है।