लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बूचड़खाने और मांस की दुकानों को बंद किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकार से अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी 24 जुलाई तक जमा कराने को कहा है। कोर्ट ने जानना चाहा है कि पिछले आदेश के तहत बूचड़खाने और मांस की दुकानों के लाइसेंस जारी किए गए या नहीं।
हाईकोर्ट ने पिछले 12 जुलाई को कहा था कि आदेश पर अमल करने में किसी तरह की लापरवाही न की जाए। अदालत ने यह भी कहा था कि सरकार कोई कदम उठाने से पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मद्देनजर बूचड़खाने और मांस की दुकानों के मामले में नीति तय करे।
जस्टिस अमरेश्वर प्रताप शाही और जस्टिस दया शंकर त्रिपाठी की खंडपीठ ने मोहम्मद मुस्तफा और अन्य की ओर से दायर की गई याचिकाओं पर आज यह आदेश दिया है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ताओं ने मांस की दुकानों की नवीनीकृत की मांग की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। कहा गया था कि नवीकरण न हो पाने की वजह से मांस की दुकानें बंद हो जाती हैं जिससे हमें परेशानी हो रही है।
राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि नियमों के अनुसार चल रहे बूचड़खाने और मांस की दुकानों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कहा गया है कि नेशनल ग्रीन अथॉरिटी (एनजीटी) के नियमों के तहत राज्य सरकार काम कर रही है।
याचिकाकर्ता से भी इस मामले में चर्चा की गई। कहा गया कि सरकार और नगर निगम जल्द ही लाइसेंस जारी करे। कहा गया कि राज्य सरकार ने बूचड़खाने और मांस की दुकानों के चलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे आम लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है। याचिकाकर्ता द्वारा यह भी कहा गया कि कौन क्या खाता है इसमें सरकार को कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।