भारत में किसी एक धर्म का वर्चस्व नहीं चलने वाला: मौलाना अरशद मदनी

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी मुस्लिम संगठन जमीअत उलेमाए हिन्द की ओर से पिछली रात अशोका होटल में ईद मिलन समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें देश के सभी बड़ी पार्टियों के प्रमुख, कई देशों के राजदूत, मानवधिकार और मुस्लिम संगठनों के प्रमुखों, प्रमुख पत्रकारों और अन्य प्रख्यात हस्तियों ने शिरकत की।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

इस मौके पर जमीअत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने वहां मौजूद सभी मेहमानों को ईद की मुबारकबाद पेश की और साथ ही देश में जारी चिंताजनक स्थिति पर अफ़सोस का इज़हार करते हुए देश की जनता से हिन्दू, मुसलमान या सिख, इसाई नहीं, बल्कि एक भारतीय के तौर पर एकता और तरक्की के लिए खुद को वक्फ कर देने की अपील की और मौलाना मदनी ने साम्प्रदायिकता और देश की एकता व सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वाली शक्तियों के खिलाफ एकजुटता हो जाने का नारा दिया।

इस सम्मानजनक समारोह से ख़िताब करते हुए मौलाना मदनी ने जमीअत उलेमा ए हिन्द के इतिहास का संयुक्त रूप से ज़िक्र करते हुए कहा कि जमीअत उलेमा ए हिन्द 22 नवम्बर 1919 में वजूद में आई थी, गोया कि वह अपने वजूद के 100 साल पूरे कर रह है, जिन लोगों ने उसको कायम किया गया और जिस नजरिया के तहत उसको बनाया था। वह हिंदुस्तान जैसे देश में जहाँ सैंकड़ों धार्मिक और भाषीय अल्पसंख्यक रहती हैं, उनमें भाईचारगी और हमदर्दी बनाए रखने के लिए बनाया था।