केंद्र सरकार द्वारा हज नीति में किए गए बदलावों के मुताबिक 45 साल से अधिक उम्र की मुस्लिम महिलाओं को अकेले हज पर भेजने का विचार कर रही है। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा दिया गया ये प्रस्ताव कई मुस्लिम धर्मगुरुओं को पसंद नहीं आ रहा है।
महाराष्ट्र के जमीयत उलेमा के सेक्रेटरी ने केंद्र के इस प्रस्ताव को अटपटा बताते हुए कहा है कि महिलाओं और पुरुषों को बराबर करने का फैसला बेकार है क्योंकि ऐसा होना मुमकिन नहीं है।
इस मुस्लिम धर्मगुरु का कहना है कि अगर पुरुष महिलाओं को वाकई में अपनी बराबरी में लाना चाहते हैं तो वे साढ़े चार महीने तक बच्चे को अपने पेट में क्यों नहीं पालते?
इसके अलावा बरेली स्थित सुन्नी बरेलवी ने भी सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध किया है।
आपको बता दें कि शनिवार को केंद्र सरकार ने को नई हज नीति पेश की है। जिसमें सब्सिडी की व्यवस्था खत्म करने और 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम के हज पर जाने की इजाजत देने का प्रस्ताव किया गया है।
हालांकि इसमें ये भी कहा गया है कि बिना मेहरम के हज पर जाने के लिए 4 महिलाओं का समूह होना जरूरी है।
इसके साथ ही नई हज नीति 2018-22 में हज यात्रियों को समुद्री मार्ग से भेजने के विकल्प पर काम करने की बात की गई है। समुद्री जहाज के जरिए हज पर जाना लोगों के लिए एक सस्ता विकल्प हो सकता है।