कौन क्या खाएगा ये तय करने का अधिकार सरकार को नहीं— इलाहाबाद हाईकोर्ट

लखनऊ: अवैध बूचड़खानों के नाम पर योगी सरकार के एक्शन के बाद यूपी के गोश्त कारोबारियों में दहशत व्याप्त है। गोश्त के कारोबार से जुड़े व्यापारियों के लाईसेंस अब रिन्युअल नहीं किए जा रहे और जिनके लाईसेंस है उनकी दुकाने बंद चल रही हैं। लाईसेंस रिन्युअल नहीं करने के मामले में लखीमपुर खीरी के गोश्त कारोबारी सईद अहमद ने योगी सरकार के इस कार्रवाई को चुनौती दे दिया है इसका नतीजा ये हुआ कि सईद अहमद की याचिका पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा है कि ‘राज्य सरकार को स्वास्थ्य, संस्कृति, खान-पीन की निजी आदतों, लोगों के सामाजिक व आर्थिक स्तर, खाद्य पदार्थों की उपलब्धता, उनके दाम, क्वालिटी पर विचार करते हुए किसी तरह का प्रकट या परोक्ष एक्शन लेना चाहिए। जो लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं, उन्हें ऐसा नहीं लगना चाहिए कि यह सब अचानक कर दिया और गैरकानूनी है।’ हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा कि ‘ऐसे एक्शन में संविधान में धर्मनिरपेक्षता का ध्यान रखा जाना चाहिए। गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के साथ-साथ सरकार को खान-पान को जारी रखना होगा, जो कानून के खिलाफ नहीं हैं।’
दरअसल मामला ये है कि लखीमपुर खीरी में सईद अहमद का ब​करे की गोश्त का दुकान है और यही उनकी रोज़ी रोटी है सईद अहमद के दुकान की लाईसेंस अवधि 31 मार्च 2017 थी, लेकिन नगर निगम ने उनके दुकान का लाईसेंस ​रिन्युअल नहीं किया है जिसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने टिप्पणी की।