मध्यप्रदेश पुलिस ने सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र के प्रभावितों के लिए धरने पर बैठीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को गिरफ्तार कर लिया है। मेधा पाटकर डूब क्षेत्र के प्रभावितों के उचित पुनर्वास की मांग को लेकर धार के चिखल्दा गांव में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठीं थीं ।
मेधा पाटकर और 11 दूसरे कार्यकर्ताओं का अनिश्चितकालीन उपवास सोमवार को 12वें दिन भी जारी था. अनशन स्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस बल की मदद से मेधा पाटकर को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने जबरन बल प्रयोग कर मेधा को एंबुलेंस में बिठाया। मेधा पाटकर की गिरफ्तारी के बाद अनशनकारी और नर्मदा बचाओ आंदोलन के सदस्यों ने गिरफ्तारी दी ।
सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई तक पूर्ण पुनर्वास के बाद ही विस्थापन और बांध की ऊंचाई बढ़ाने का निर्देश दिया था. जहां नई बस्तियां बसाने की तैयारी चल रही हैं, वहां के हालत रहने लायक नहीं हैं.
मेधा अपनी मांगों पर अडिग हैं और उनका कहना है कि पहले सरदार सरोवर के जो गेट बंद किए गए हैं, उन्हें खोला जाए, पूर्ण पुनर्वास हो, उसके बाद ही विस्थापन किया जाए. इसके लिए सरकार सीधे बातचीत करे.
वहीं नर्मदा में जल स्तर 121.90 मीटर पहुंच गया है. 123 मीटर पर खतरे का निशान निर्धारित है. मध्यप्रदेश नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अनुसार सरदार सरोवर बांध से प्रभावित मध्यप्रदेश के करीब 6,500 परिवार अब भी इस बांध के कैचमेंट इलाके में रह रहे हैं.
सरदार सरोवर की जद में 192 गांव और इनमें बसे 40 हजार परिवार प्रभावित होने वाले हैं. कुछ दिनों बाद इस इलाके के गांव न केवल डूब जाएंगे बल्कि यहां से जुड़ी एक भाषा और एक संस्कृति भी ख़त्म हो जाएगी.
गिरफ्तार किए जाने से पहले मेधा पाटकर ने अपने संदेश में सरकार के इरादे पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा…
‘आज मध्य प्रदेश सरकार हमारे 12 दिन के अनशन पर बैठे हुए 12 साथियों को गिरफ्तार करके जवाब दे रही है. ये अहिंसक आंदोलन का कोई जवाब नहीं है. मोदी जी के राज में, शिवराज जी के राज में एक गहरा संवाद नहीं हुआ, जो कुछ हुआ उस पर जवाब नहीं आया. आंकड़ों का खेल, कानून का उल्लंघन और केवल बल प्रयोग जो आज पुलिस लाकर और कल पानी लाकर करने की इनकी मंशा है, इसे हम देश में गांधी के सपनों की हत्या मानते हैं. बाबा साहेब के संविधान को भी न मानने वाले लोग राज पर बैठे हैं.
ये लोग गांवों की, किसानों की, मजदूरों की, मछुआरों की कोई परवाह नहीं करते हैं. ये इस बात से स्पष्ट हो रहा है. पहले अनशन तोड़ो फिर बात करो, ये हम कैसे मंजूर कर सकते हैं. एक तरफ मुख्यमंत्री खुद कर रहे हैं कि ट्रिब्यूनल का जो फैसला है उस पर अमल पूरा हो चुका है. दूसरी तरफ कहते हैं कि अनशन तोड़ो फिर बात करेंगे. अब अहिंसक आंदोलन को चोटी पर ले जाना होगा और जवाब समाज को देना पड़ेगा. नर्मदा घाटी में प्रकृति साथ दे रही है. गुजरात पानी से लबालब भरा है. यहां पानी नहीं भरा है, लेकिन कल क्या होगा कौन जाने.
12 अगस्त को मोदी जी ने अगर इस मुद्दे पर महोत्सव मनाया और जश्न मनाया. वो भी साधुओं और 12 मुख्यमंत्रियों के साथ तो उनकी सरकार और उनकी पार्टी किस प्रकार से विकास को आगे धकेलना चाहते हैं ये जो देश में कोने-कोने में संघर्ष पर उतरे साथी कह रहे हैं वहीं बात अधोरेखित हो जाएगी. हम इतना ही चाहते हैं कि ‘नर्मदा से हो सही विकास, समर्पितों की यही है आस’. ये हमारा नारा आज केवल नर्मदा घाटी के लिए नहीं है. देश में कोई भी अब विस्थापन के आधार पर विकास मान्य न करे, विकल्प ही चुने. यही हम चाहते हैं.’
वहीं इस पूरे मसले पर सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र कहते हैं, ‘यहां पिछले दो तीन दिन से भारी बारिश हो रही है जो सरदार सरोवर के गेट बंद किए गए है. उससे बैकवाटर है वो बढ़ना शुरू हो गए है. अभी आम तौर से यह माना जाता रहा है कि 20 तारीख के बाद इधर काफी बारिश होती है जिससे पानी बढ़ना शुरू होता है, लेकिन बारिश के चलते यह अभी बढ़ना शुरू हो गया है.’
वे आगे कहते हैं, ‘दूसरी बात 12 तारीख को 12 मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री इसका लोकार्पण करने वाले हैं तो इस पूरी प्रक्रिया में वह चाहते हैं कि पूरे मसले को किसी भी तरीके से निपटा दिया जाए. दरअसल लोगों का पुनर्वास हुआ नहीं है लोग तो अभी अपने गांवों में हैं. ऐसे में वो चीजें दो-चार दिन में सुधार नहीं सकते हैं तो वो दबाव की रणनीति बना रहे हैं. उन्हें लगता है कि मेधा इस पूरे आंदोलन के पीछे हैं तो उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया जाए.’