#MeToo हैशटैग पिछले साल सोशल मिडिया में सामने आया, लेकिन इसका इस्तेमाल 10 साल पहले हो चूका था !

एक साल पहले, 15 अक्टूबर, 2017 को अमेरिकी अभिनेता एलिसा मिलानो ने एक ट्वीट पोस्ट किया था तब से #MeToo लहर के रूप में पूरी दुनिया में फ़ैल गया । अभिनेत्री एलिसा मिलानो ने एक टिप्पणी ट्वीट की थी कि “एक मित्र ने सुझाव दिया है: यदि सभी महिलायें, जो यौन उत्पीड़न या हमले की शिकार वे ” Me Too” शीर्षक से लिखें तो हम लोगों को समस्या की भयावहता से अवगत करा सकते हैं.”

मिलानो ने ट्विटर पर पोस्ट किया “अगर आपको यौन उत्पीड़न या हमला किया गया है तो इस ट्वीट के जवाब के रूप में ‘MeToo”लिखो,” बाद में ट्वीट में, “MeToo” फैलता गया। दस दिन पहले, द न्यूयॉर्क टाइम्स ने विस्फोटक हार्वे वेनस्टीन रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया था कि कैसे सुपरस्टार हॉलीवुड निर्माता ने दशकों तक महिलाओं को यौन उत्पीड़न करने की अपनी शक्ति और स्थिति का उपयोग किया था, और फिर अपने कई आरोपियों की चुप्पी खरीदी।

मिलानो का निमंत्रण सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गया, और #MeToo बाढ़ की तरह भारत सहित दुनिया भर में फ़ैल गया। पिछले कुछ हफ्तों में, भारत ने #MeToo घटना की वापसी देखी है, जिसमें महिलाओं ने फिल्म, टेलीविजन, पत्रकारिता, व्यवसाय, कला, लेखन और स्टैंड-अप की दुनिया के कई लोगों द्वारा यौन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का खुलासा किया है।

“MeToo”एक दशक पहले एक अमेरिकी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता ताराना बर्क द्वारा बनाया गया था। ज्‍यादातर लोग ऐसा मानते भी हैं कि #MeToo की शुरुआत 2017 में हुई, लेकिन इसकी शुरुआत काफी पहले 2006 में हुई थी। #MeToo की शुरुआत जिस महिला ने की वो तराना बर्क ही हैं। वह महिलाओं की आवाज उठाने के लिए जानी जाती हैं। तराना बर्क एक्टिविस्ट होने के साथ ही वकील भी हैं।

#MeToo की शुरुआत करने वाली तराना बर्क खुद भी यौनशोषण की शिकार हो चुकी हैं। वह जब 6 साल की थीं, तब उन्‍हें इस दर्दनाक अनुभव का सामना करना पड़ा। तराना बर्क का यौनशोषण उनके पड़ोसी ने किया था। युवा अवस्‍था में उन्‍हें रेप की भयावहता से भी गुजरना पड़ा। वह इस दर्द को जानती हैं। उस पीड़ा से गुजरी हैं तराना बर्क।

अफ्रीकी मूल अमेरिकी नागरिक तराना बर्क ने 2006 में महिलाओं को न्‍याय दिलाने के लिए हैशटैग मीटू बनाया। तराना बर्क कहती हैं कि वह अश्‍वेत महिलाओं के यौनशोषण की घटनाओं से बेहद आहत थीं। वह उनके लिए कुछ करना चाहती थीं। उस समय मायस्‍पेस नाम से एक सोशल मीडिया पेज एक्टिव था। यौनशोषणा की शिकार महिलाओं को आवाज देने के लिए इसी प्‍लेटफॉर्म पर टराना बर्क बर्क ने पहली बार हैशटैग MeToo का प्रयोग किया था।

आंदोलन शुरू करने वाले मिलानो के ट्वीट को 24,000 से अधिक बार फिर से ट्वीट किया गया था और मंगलवार तक 52,754 बार लाइक किया गया । फेसबुक पर, हैशटैग #MeToo का इस्तेमाल पहले 24 घंटों में 12 मिलियन बार किया गया था। दुनिया भर में लाखों महिलाओं ने अपनी कहानियों को साझा करने के लिए हैशटैग का उपयोग किया है, जिनमें से कुछ ने दशकों से खुद के भीतर बोतलबंद किया है, पूरी तरह से चौंकाने वाली रेंज का खुलासा किया है। हैशटैग ने सोशल मीडिया द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है ताकि इन महिलाओं को उनकी कहानियों के साथ बाहर निकलने में सक्षम बनाया जा सके।

भारत में #MeToo अभियान का चल रहा चरण सितंबर के आखिरी सप्ताह में शुरू हुआ था, जब पूर्व अभिनेता तनुश्री दत्ता ने आरोप लगाया था कि 2008 में एक फिल्म सेट पर अभिनेता नाना पाटेकर ने उन्हें परेशान किया था। तनुश्री दत्‍ता, संध्‍या मदुल, कंगना रनौत और न जाने कितनी महिलाएं, सेलेब्रिटी इस मूवमेंट के तहत अपनी कहानियां दुनिया के सामने रख चुकी हैं।

तब से लहर अब तक व्यापक हो गई है, शायद पत्रकारिता में सबसे बड़ा प्रभाव, जहां एक दर्जन से अधिक महिला पत्रकारों ने एक संपादक के रूप में अपने समय के दौरान यौन दुर्व्यवहार और हमले के विदेश मामलों के मंत्री एम जे अकबर पर आरोप लगाया है।