करोड़ों दिलों के पसंदीदा शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का 220वां जन्मदिवस है. इस मौके पर गूगल ने एक खास डूडल बनाकर उनको समर्पित किया है.
पढ़ें गालिब के मशहूर शेर
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश प दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमां, लेकिन फिर भी कम निकले
दिल-ए-नादां, तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
मेहरबां होके बुलाओ मुझे, चाहो जिस वक्त
मैं गया वक्त नहीं हूं, कि फिर आ भी न सकूं
या रब, न वह समझे हैं, न समझेंगे मेरी बात
दे और दिल उनको, जो न दे मुझको जबां और
कैदे-हयात बंदे-.गम, अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी, .गम से निजात पाए क्यों
गालिबे-खस्ता के बगैर कौन-से काम बंद हैं
रोइए जार-जार क्या, कीजिए हाय-हाय क्यों
रंज से खूंगर हुआ इंसां तो मिट जाता है .गम
मुश्किलें मुझपे पड़ीं इतनी कि आसां हो गईं
ए इश्क बे- कसी -ए -इश्क पे रोना ‘गालिब’
किस के घर जाएगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद
आगे आती थी हाल ए दिल पे हंसी
अब किसी बात पे नहीं आती
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी जुल्फ के सर होते तक
आईना क्यूँ न दूँ की तमाशा कहें जिसे
ऐसा कहाँ से लाऊं की तुझ सा कहें जिसे
आज हम अपनी परेशानी-ए-खातिर उन से
कहने जाते तो हैं पर देखिये क्या कहते हैं
आँख की तस्वीर सर-नामे पे खींची है की ता
तुझ पे खुल जावे की इस को हसरत-ए-दीदार है
आशिक हूँ पे माशूक -फरेबी है मिरा काम
मजनूँ को बुरा कहती है लैला मेरे आगे
आशिकी सब्र-तलब और तमन्ना बे-तलब
दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होते तक
आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद
मुझ से मिरे गुनाह का हिसाब ए खुदा ना मांग
आते हैं गालिब से ये मज़ामीं खयाल में
‘गालिब’ सरीर-ए-खमा नवा-ए-सरोश है
आतिश-ए-दोज़ख में ये गर्मी कहाँ
सोज़-ए-ग़म-हा-ए-निहानी और है
अगर गफलत में बाज आया जफा की
तलाफ़ी की भी ज़ालिम ने तो क्या की
13 अगले वक़्तों के हैं ये लोग इन्हें कुछ न कहो
जो मय ओ नगमे को अंदोह-रुबा कहते हैं
14 अपनी गली में मुझको न कर दफ्न बाद-ए-कत्ल
मेरे पत्ते से खल्क को क्यूँ तेरा घर मिले
15 अपनी हस्ती से हो जो कुछ हो
आगही गर नहीं गफलत ही सही
16 अर्ज-ए-नियाज-ए-इश्क के काबिल नहीं रहा
जिस दिल पे नाज था मुझे वो दिल नहीं रहा
17 उम्र बाजार से ले आए अगर टूट गया
साग़र-ए-जम से मिरा जाम-ए-सिफल अच्छा है
18 बात पर वहाँ जबान कटती है
वो कहें और सुना करे कोई
19 बहरा हूँ मैं तो चाहिए दूना हो इल्तिफ़ात
सुनता नहीं हूँ बात मुकरर कहे बगैर