नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अल्पसंख्यक दर्जा पर सुप्रीम कोर्ट में अपना समर्थन वापस लेने जा रही है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस सिलसिले में कोर्ट में नया शपथ पत्र दाखिल करने वाली है जिसमें लिखा जाएगा कि जामिया को अल्पसंख्यक दर्जा दिया जाना एक गलती थी।
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर के अनुसार मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताएगी कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया कभी अल्पसंख्यक संस्था नहीं रहा क्योंकि संसद के एक अधिनियम के तहत इसकी स्थापना प्रक्रिया में आया था और केंद्र सरकार इसे वित्तीय सहायता देती है।
गौरतलब है कि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के राष्ट्रीय आयोग (एनसीएमईआई) ने 22 फरवरी 2011 को उस समय के यूपीए सरकार में जामिया को एक धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया था। अखबार ने इससे पहले भी प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट का हवाला दिया है। जिसमें लिखा है कि 15 जनवरी 2016 को अटार्नी जनरल ऑफ इंडिया ने उस समय स्मृति ईरानी के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सलाह दी थी कि उसे यह अधिकार प्राप्त है कि वह कोर्ट में अपने रुख को बदल कर यह रुख पेश करे कि जामिया एक अल्पसंख्यक संस्था नहीं है, और यह कि इस सिलसिले में एनसीएमईआई जो रूलिंग दी थी वह कानून के अनुसार नहीं था।