नई दिल्ली। राजनीतिक उद्देश्य की खातिर लगातार क्षेत्र मे आतंकवाद को हथियार बनाकर उसके हो रहे इस्तेमाल पर भारत और अफगानिस्तान ने गहरी चिंता जाहिर करते हुए सभी तरह के प्रायोजित आंतकवाद और आतंकवादियों के ठिकाने को खत्म करने का आह्वन किया। इसे पाकिस्तान को एक सख्त लहजे में अप्रत्यक्ष तौर पर दिया गया संदेश माना जा रहा है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नई दिल्ली दौरे पर आए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने आतंकवाद का मुकाबला करने, सुरक्षा को मजबूत बनाने और रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर अपनी प्रतिबद्धता जताई जैसा कि भारत-अफगानिस्तान सामरिक साझेधारी समझौते में उल्लेख है।
नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत करीब एक बिलियन डॉलर की राशि अफगानिस्तान को देगा ताकि वहां की मूलभूत जरूरतें जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण, ऊर्जा, बुनियादी संरचनाओं और लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने पर खर्च किया जा सके।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी बुधवार को दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे हैं। दोनों नेताओं के बीच हुई चर्चा की जानकारी देेते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने हर क्षेत्र में सहयोग करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धत्ता दोहराई। बातचीत के दौरान दोनों ही नेताओं ने क्षेत्र की परेशानियों और इनके समाधान को लेकर विस्तृत चर्चा की। साथ ही आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की भी अपनी प्रतिबद्धत्ता दोहराई।
राष्ट्रपति घनी के बाद यानी अगले दिन नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ भारत में होंगे। दो सार्क देशों के प्रमुखों का भारत आना काफी अहम साबित होने वाला है।
भारत से हथियारों समेत रक्षा आपूर्ति में वृद्धि की मांग कर रहा है जिससे ताकि अफगान पुलिस और आर्म्ड फोर्सेज को ताकतवर बनाया जा सके। भारत ने पिछले वर्ष अफगानिस्तान को पहली बार चार एमआई-25 लड़ाकू हेलिकॉप्टर दिए थे। अशरफ इस दौरान पीएम मोदी के साथ विचार-विमर्श करने के आलावा व्यापार समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे