चार साल पहले बीजेपी से किनारा कर चुके बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से बीजेपी के साथ मिलकर बिहार की सत्ता की कमान संभाली है।
नीतीश ने महागठबंधन से अलग होने पर तर्क दिया कि उन्होंने ऐसा अंतरात्मा की आवाज़ पर किया है। लेकिन क्या यह पहली बार है जब नीतीश ने अंतरात्मा की आवाज़ सुनी है। क्या इससे पहले बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के समय उन्होंने इस आवाज़ को नहीं सुना था? क्या नीतीश ने उस वक्त यह नहीं कहा था, ‘मिट्टी में मिल जाऊंगा लेकिन अब कभी भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा’।
नीतीश कुमार ने मोदी की अगुवाई वाली भाजपा को अटल-आडवाणी की भाजपा से अलग करते हुए यह भी कहा कि जब हम एनडीए में शामिल हुए थे, तब बीजेपी ऐसी सांप्रदायिक पार्टी नहीं थी। इसलिए उन्होंने मोदी की ‘सांप्रदायिक-फासीवादी भाजपा’ से किनारा कर लिया।
उन्होंने उस वक्त प्रधानमंत्री पद के अम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा था कि मोदी के नाम से अल्पसंख्यक समाज के लोगों में शंका उत्पन्न होती है। साथ ही उन्होंने गुजरात का ज़िक्र करते हुए कहा था कि गुजरात दंगों के लिए उन्हें (पीएम मोदी) देश की जनता कभी माफ नहीं कर सकती।
इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना हिटलर से करते हुए कहा था कि मोदी सरकार हिटलर की नीति की तर्ज़ पर एक झूठ को सौ बार बोलकर झूठ को सच साबित करने में लगी है।
नीतीश ने पीएम मोदी के डीएनए वाले बयान के जवाब में कहा था कि इन्हें (पीएम मोदी) बिहार और मुझसे चिढ़ है, इसलिए बिहार के डीएनए पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। उस वक्त नीतीश ने पीएम मोदी के काला धन वापस लाने के वादे और ‘अच्छे दिन’ के चुनावी नारे का भी जमकर मज़ाक बनाया था।
इतना ही नहीं, 2015 में बिहार चुनाव से पहले जब नीतीश से पूछा गया कि एनडीए से गठबंधन तोड़ना क्या उनकी ग़लती थी तो इसपर उन्होंने जवाब दिया कि कोई ग़लती नहीं थी, यह सिद्धांतों के आधार पर लिया गया बिल्कुल सही फैसला था।
बिहार चुनाव के समय शब्दों के यह तीर सिर्फ नीतीश कुमार की ओर से नहीं चले बल्कि पीएम मोदी ने भी शब्दों की इस जंग में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और नीतीश कुमार के हर वार पर पलटवार किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जब पूछा गया कि आपके मित्र नीतीश कुमार ने आपका साथ क्यों छोड़ दिया तो पीएम ने नीतीश पर तंज़ कसते हुए कहा कि जो जेपी को छोड़ सकता है वह बीजेपी का साथ क्यों नहीं छोड़ सकता।
पीएम मोदी ने नीतीश का मज़ाक बनाते हुए था कहा कि उनके मित्र (नीतीश कुमार) से कुछ चेले-चपाटों ने कह दिया कि कांग्रेस के साथ जुड़ जाओ प्रधानमंत्री बनने का अवसर है। जिसके बाद उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया। इसके साथ ही पीएम मोदी ने नीतीश पर अवसरवाद का भी आरोप लगाया था।
हैरानी की बात यह है कि जिस जेडीयू को पीएम मोदी ने बिहार चुनाव से पहले ‘जनता का दमन और उत्पीड़न’ पार्टी कहकर संबोधित किया था आज उसी जेडीयू के साथ बीजेपी बिहार में कंधे से कंधा मिलाए खड़ी नज़र आ रही है।