अमरनाथ के बदले अब हज यात्रियों पर हमले की बात करना, साबित करता है कि हम दंगों में फर्स्ट हैं

अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमलें को लेकर जितना कोई दीपक/कृष्णमूर्ति आहत है उतना ही रफीक/जावेद भी आहत हैं।
लेकिन ये क्या बात है कि हज यात्रियों पर हमला करने की बातें की जा रही हैं और सोशल मीडिया पर हिंदुओं का वह धड़ा खामोश बैठा है जो समाज सुधारक की भूमिका में दिखाई देता है।

न सिर्फ संघी बल्कि मैंने ऐसे कई समाजवादी पार्टी के लोगों, कांग्रेसियों तक को देखा जो बाल ठाकरे के एक बयान को वॉयरल कर रहे हैं। यार इतनी दुश्मनी ठीक नहीं। गांड फट के चौराहा हो जाएगी यदि वह सब हो गया जो तुम सब चाहते हो।

देश ने सन सैतालिस देखा है। देश ने चौरासी देखा है। बासठ में भूखों मरे थे हम। दिवाली तक नहीं मनी थी। आज भी एक थाना क्षेत्र में बवाल होता है तो बीस थाने की फोर्स वहां लगा कर शांति स्थापित की जाती है। सोचो जब बीसों इलाकों में बवाल होगा तो कौन कैसे संभालेगा? कौन मारा जाएगा?

देश और समाज न हो गया वीडियो गेम हो गया है। ज़िंदगी जीने का न्यूनतम क्राईटेरिया भी नहीं हासिल कर पाते हम भारतीय। कुपोषित हैं शरीर से। दिमाग से भी। हम दुनिया के सबसे थर्ड क्लास के श्रमिक हैं। हम कहीं खड़े नहीं हो पाते। न हमने कुछ रचा न सृजित किया। हम फर्स्ट क्लास हैं तो सिर्फ दंगों में।

जिस बाल ठाकरे के बयान को फैला कर सीना फुला रहे हो न, उसी ठाकरे के वक्त में अमरमाथ यात्रियों पर हमलें हुए हैं। जवाबदेही सरकार से लेने के बजाए हिंदुस्तानी हज यात्रियों पर हमले की बात कर रहे हो। अपने बाप से पूछो की वह बिरयानी खाने क्यों जाता है पाकिस्तान। हिम्मत है तो खत्म करे आतंकियों को घुस कर पाकिस्तान में। जो काम करना चाहिए वह तो होता नहीं है।

जब विपक्ष में थे तो कहते थे पड़ोसियों से आँख लाल करके बात करना चाहिए,जब सत्ता में आए तो झूला झूलने लगे। कायरों की यही पहचान होती है कि वह बोलते ज्यादा और करते कुछ भी नहीं हैं।

मैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बीस करोड़ हिंदुस्तानी मुसलमानों की तरफ से अपील कर रहा हूं कि वे तुरंत पाकिस्तान पर आक्रामण करें यदि ऐसे नहीं कह सकते तो तुरंत इस्तीफा दे दें।

  • मोहम्मद अनस (सोशल एक्टिविस्ट और युवा पत्रकार)