NRC के तहत मोहम्मद सनाउल्लाह को बांग्लादेशी बताने के खिलाफ भारतीय सेना ने अदालती मोर्चा खोल दिया है। भारतीय सेना की तरफ से विदेशी प्राधिकारण (एफ टी) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की घोषणा कर दी गयी है।
भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह को बांग्लादेशी बताकर निरोधक केंद्र में बंदी बनाने की सूचना पर नारेंगी सैनिक छावनी के प्रमुख मेजर जनरल ने आज मोहम्मद सनाउल्लाह की पत्नी सनीमा बेगम से बात की।
Army says it has a “big heart” for Mohammed Sanaullah, a retired junior commissioned officer sent to a detention camp after being declared a foreigner, but can’t do much to help him at this point of time. #NRC #Assam https://t.co/pzGbiIvnAh
— The Hindu (@the_hindu) June 1, 2019
उन्होंने अपने अधीनस्थों को इस पूरे मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता के स्तर पर रखने का निर्देश भी जारी कर दिया। सेना अब प्राधिकार के इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका भी दायर करेगी।
इधर मो. सनाउल्लाह की पत्नी ने सेना के अधिकारियों को बताया है कि उनके पति को तब बंदी बनाया गया। जब वह एनआरसी की सूची में अपना नाम नहीं होने की जानकारी लेने गये थे। इसी दौरान उन्हें हिरासत में लेकर निरोधक केंद्र भेज दिया गया।
मोहम्मद सनाउल्लाह की पत्नी ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से किया है अनुरोध सनीमा बीबी ने अलग से भारत के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से भी पूरे मामले की जांच करने
तथा अपने पति को तुरंत और ईद से पहले रिहा कराने का आदेश देने की मांग की है। सनीमा बेगम ने सेना को यह बताकर चौकन्ना होने पर मजबूर कर दिया है कि इस पूरी घटना के पीछे कोई बड़ी साजिश है।
क्योंकि कई पीढ़ी से यहां रहने के बाद भी इस अवैध घुसपैठियों की सूची में उनके परिवार का नाम आने का कोई औचित्य ही नहीं था। सेना में वे लोग देश के अलग अलग भागों में भी रहे हैं।
ऐसे में उनका नाम तो इस एनआरसी सूची में दर्ज ही नहीं होना चाहिए था। प्राधिकार को सेना के प्रमाणपत्र के अलावा भी अन्य दस्तावेज दिये गये थे। लेकिन हर कुछ को नजरअंदाज कर उन्हें बांग्लादेशी बताकर निरोधक केंद्र (डिटेंशन सेंटर) में कैद कर दिया गया है।