मोहसिन शेख हत्याकांड: सरकारी वकील उज्ज्वल निकम का केस लड़ने से इंकार, पीड़ित परिवार हुआ बेसहारा

मोहसिन शेख हत्याकांड में सरकारी अभियोजक उज्जवल निकम ने अपना नाम वापस ले लिया है। पुणे की एक फर्म में काम करने वाले मोहसिन की 2 जून 2014 की रात मस्जिद से नमाज पढ़ने के बाद घर जाने के दौरान भगवा गुंडों ने हत्या कर दी थी।

इस दौरान उनका दोस्‍त रियाज अहमद मुबारक भी साथ था। आरोप है कि हिंदू राष्‍ट्र सेना के सदस्‍यों ने छत्रपति शिवाजी और बाल ठाकरे की आपत्तिजनक तस्‍वीर पोस्‍ट किए जाने पर उन पर हमला किया।

खबर है मुताबिक़, निकम ने सोमवार को पुणे में सत्र अदालत से कहा कि वह इस मामले में सरकारी अभियोजक के रूप में वापस ले रहे हैं।

महाराष्ट्र सरकार के कानून और न्यायपालिका विभाग ने मामले से हटने का उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया और इस मामले में विशेष सरकारी अभियोजक के रूप में उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया। कानून और न्यायपालिका विभाग के एक आदेश में कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से विशेष सरकारी अभियोजक के रूप में वकील उज्जवल निकम की नियुक्ति रद्द कर दी है।

मोहसिन और अन्य के परिवार के सदस्यों को निकम के फैसले पर बहुत धक्का लगा है। इस मामले में एक कार्यकर्ता अज़हर तांबोली ने कहा कि मैं इस मामले को बारीकी से देख रहा हूं और निकम साहब ने इस मामले को बहुत प्रभावी ढंग से अभी तक लड़ा था। यह चौंकाने वाला है कि उन्होंने मामले से वापस लेने का निर्णय लिया है।

मोहसिन शेख के पिता के अनुरोध पर कांग्रेस की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने अगस्त 2014 में निकम को अभियोजक के रूप में नियुक्त करने का फैसला किया था। निकम को हिंदू राष्ट्र सेना के 21 सदस्यों पर मुकदमा चलाना था, जिसमें उनके नेता धनंजय जयराम देसाई, उर्फ ​​भाई भी थे, जिन्हें हत्या के लिए गिरफ्तार किया गया था।

दिलचस्प है कि देसाई का बचाव हिंदू विधीज्ञ परिषद (एचवीपी) के राष्ट्रीय सचिव संजीव पुनाळेकर करते थे, जो सनातन संस्था के लिए भी लड़ रहे थे।

पिछले एक साल में अधिकतर आरोपियों को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा जमानत दी गई है, केवल पांच आरोपी जिनमें मुख्य आरोपी धनंजय देसाई भी शामिल हैं, अभी भी जेल में है। शेख के परिवार ने कहा मामले से निकम की वापसी ने उन्हें चौंका दिया है। निकम ने खुद चुप रहने का फैसला किया कि उसने वापस लेने का फैसला क्यों किया।