गैरकानूनी कामों का भंडाफोड़ करने की कोशिश में 25 से ज़्यादा दलित एक्टिविस्ट्स ने पिछले एक साल में गँवाई जान: रिपोर्ट

 तमिलनाडु: देश में अल्पसंख्यकों और दलितों पर हो रहे अत्याचार के बारे में पूरा देश जानता है। लेकिन ऐसी घटनाओं के आंकड़ों के बारे में मीडिया का अधिकतर तबका न तो बात करता है और न ही इन आकंड़ों की और ध्यान दिया जाता है।

हाल ही में मदुरै की एक मानवाधिकार संस्था ‘एविडेंस’ ने एक प्रेस रिलीज़ जारी किया है। इस प्रेस रिलीज़ के आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक साल में 25 से ज्यादा दलित एक्टिविस्ट्स को गैरकानूनी कामों का भंडाफोड़ करने या समाज सुधारक कामों में लगे होने की वजह से जान गंवानी पड़ी है।

संस्था का कहना है कि तमिलनाडु में हर साल दलितों के साथ मारपीट और उनकी हत्या के 150 से भी ज्यादा मामले सामने आते हैं। इन मालों में मारपीट करने वाले लोग जाति, अंतर्जातीय विवाह जैसे मुद्दों को लेकर लोगों को निशाना बनाते हैं।

संस्था का कहना है कि ऐसे मामलों को रोकने में पुलिस मशीनरी काफी हद तक नाकाम रही है। वहीँ कुछ पुलिस अधिकारी ऐसे भी हैं जो इन मामलों को पूरी गंभीरता से लेते हुए सख्त कार्यवाई करते हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बहुत से अपराधियों को राजनैतिक संरक्षण मिला होने की वजह से पुलिस अपना काम ठीक से नहीं कर पाती है।