खुलासा: गुजरात में 80 फ़ीसदी इंजीनियर बेरोज़गार

अहमदाबाद। गुजरात में 20 फीसदी से भी कम स्नातक अभियंताओं को नौकरी मिलती है यानी 80 प्रतिशत से अधिक अभियंता बेरोज़गार रहते हैं। सिविल इंजीनियरिंग में तो कैंपस प्लेसमेंट की स्थिति काफी निराशाजनक है। यहां सिर्फ 5 फीसदी छात्रों का ही प्लेसमेंट हो पाता है। साल 2015-16 के लिए जारी हुए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के आकंड़ों से खुलासा हुआ है कि कंप्यूटर साइंस में पास हुए 11,190 छात्रों में से सिर्फ 3,407 छात्रों को नौकरी मिली।

 

 

 

अहमदाबाद मिरर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक उसी साल 17,028 छात्रों ने मेकैनिकल इंजीनियरिंग का कोर्स पूरा किया जिनमें से सिर्फ 4,524 छात्रों का प्लेसमेंट हुआ। इंजीनियरिंग की अन्य ब्रांच के आंकड़े भी काफी निराशाजनक है। राज्य भर में इंजीनियरिंग की 71,000 सीटों में से साल 2016 में 27,000 सीट खाली थी। स्नातक अभियंताओं के निराशाजनक प्लेसमेंट के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि मांग से अधिक इंजीनियरिंग स्नातकों की मांग, शिक्षा की गुणवत्ता, पाठ्यक्रम एवं उद्योग जगत की आवश्यकता के बीच भारी गैप और सॉफ्ट स्किल्स की कमी के कारण ऐसा हो रहा है।

 
इस मामले में गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी की निदेशक राजुल गज्जर का कहना है कि एआईसीटीई के आंकड़ों में सिर्फ उन छात्रों की बात की गई है, जिनका कैंपस प्लेसमेंट हुआ है। कुछ छात्र आगे की पढ़ाई करते हैं तो कुछ का बाद में प्लेसमेंट होता है, जिनके आंकड़े को इसमें दर्ज नहीं किया गया है। रोजगार और प्लेसमेंट्स पूरी तरह अलग पहलू हैं। इसलिए एआईसीटीई के आंकड़ों से सही तस्वीर सामने नहीं आती है।

 

 

 

 

एलडी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (एलडीसीई) के प्रिंसिपल और एसीपीसी के सदस्य सचिव ने जी पी वडोदरिया ने बताया कि सभी कॉलेज की एक जैसी हालत नहीं है। प्लेसमेंट की बुरी हालत दूरदराज इलाकों के कॉलेजों में है। विश्वकर्मा राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड कम्यूनिकेशंस के प्रोफेसर अल्पेश दाफदा ने बताया कि रोजगार के अवसर पास होने वाले छात्रों के मुकाबले बहुत कम हैं।

 
एसएएल टेक्निकल कैंपस के डायरेक्टर रुपेश वसानी ने बताया कि एमबीए और एमसीए करने वाले छात्रों को सैलरी के नाम पर महज 6,000 से 8,000 रुपये मिलते हैं। लेकिन इंजीनियरिंग की आकांक्षाएं काफी होती हैं। हालांकि कंपनियां उनको 10,000 से 15,000 रुपये ऑफर करती हैं लेकिन फ्रेश इंजिनियर्स इसे मना कर देते हैं।

 
एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनैंस कॉलेजेज ऑफ गुजरात के अध्यक्ष जनक खांडवाला ने बताया कि पाठ्यक्रम को इंडस्ट्री की जरूरत के मुताबिक बनाया जाना है। कॉलेजों को अपने छात्रों के लिए इंटर्नशिप पर और उनको वास्तविक दुनिया दिखाने की जरूरत है। प्लेसमेंट हेड्स किसी जॉब के लिए आवश्यक सॉफ्ट स्किल्स पर भी गौर करते हैं।

 

 
एसएएल टेक्निकल कैंपस में ट्रेनिंग ऐंड प्लेसमेंट प्रमुख सिंपल जोशी ने बताया कि सिर्फ 30 फीसदी प्लेसमेंट ही टेक्निकल नॉलेज की बुनियाद पर होता है बाकी 70 फीसदी छात्र की कम्यूनिकेशन और सॉफ्ट स्किल्स पर होता है। ऐसी बात नहीं है कि गुजरात में रोजगार की कमी है बल्कि छात्रों में कम्यूनिकेशन स्किल्स की कमी है।