जयपुर: बुनियादी मानव अधिकारों को मानने वाली शरियत में किसी भी सरकार को बदलाव करने की कोई अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस तर्क के साथ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दीदी ने मीडिया को सीधे तौर पर निशाना साधा, कहा कि इस्लाम ने महिला को बराबरी के सभी अधिकार दिए हैं और मध्यकाल में भी इस्लाम में कोई गुलाम महिला आज़ाद हो जाती थी, तो इस बात का अधिकार होता था कि वह चाहे तो अपना निकाह को बरकरार रखे या खत्म कर दे।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये
संबंधित बिल को खामियों से भरा हुआ बताते हुए मौलाना ने कहा कि इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद किसी की भी शिकायत करने पर पुलिस पति को गिरफ्तार कर सकती है।
मौलाना ने मुस्लिम महिलाओं की सहानुभूति को सरकार का ढकोसला करार देते हुए सवाल किया कि घरेलू मतभेद में कोई महिला चाहेगी कि उसका पति जेल जाए? उन्होंने कहा कि सरकार ने तीन तलाक को अपराध करार देकर वैसे भी यह ज़ाहिर कर दिया है कि उसकी नियत ठीक नहीं है।
You must be logged in to post a comment.