जयपुर: बुनियादी मानव अधिकारों को मानने वाली शरियत में किसी भी सरकार को बदलाव करने की कोई अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस तर्क के साथ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दीदी ने मीडिया को सीधे तौर पर निशाना साधा, कहा कि इस्लाम ने महिला को बराबरी के सभी अधिकार दिए हैं और मध्यकाल में भी इस्लाम में कोई गुलाम महिला आज़ाद हो जाती थी, तो इस बात का अधिकार होता था कि वह चाहे तो अपना निकाह को बरकरार रखे या खत्म कर दे।
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संबंधित बिल को खामियों से भरा हुआ बताते हुए मौलाना ने कहा कि इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद किसी की भी शिकायत करने पर पुलिस पति को गिरफ्तार कर सकती है।
मौलाना ने मुस्लिम महिलाओं की सहानुभूति को सरकार का ढकोसला करार देते हुए सवाल किया कि घरेलू मतभेद में कोई महिला चाहेगी कि उसका पति जेल जाए? उन्होंने कहा कि सरकार ने तीन तलाक को अपराध करार देकर वैसे भी यह ज़ाहिर कर दिया है कि उसकी नियत ठीक नहीं है।