देश की लिए अपनी जान की बाज़ी लगाने वाले आठ साल तक पीएम के एसपीजी कमांडो रहे एक ज़ख्मी जवान ने दिल को झकझोर देने वाला खुलासा किया है. 2014 में छत्तीसगढ़ के सुकमा नक्सली मुठभेड़ में घायल सीआरपीएफ़ के जवान मनोज सिंह तोमर पिछले चार साल से अपनी आंत पॉलीथीन में रखकर इलाज की आस लगाए भटक रहे हैं.
दरअसल, मनोज मार्च 2014 में छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी में नक्सली मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस मुठभेड़ में मनोज के पेट में सात गोलियां लगीं थी. उस हमले में 11 जवान शहीद हो गए थे सिर्फ मनोज ही हमले में बच सके.
घायल मनोज की जान तो बचा ली गई लेकिन वह सामान्य नहीं हो पाए. उनकी आंते पेट से बाहर ही रहीं और एक आंख की रोशनी भी चली गई. मनोज पेट से बाहर निकली आंत पॉलीथिन में लपेटकर जीवन बिताने को मजबूर हैं.
16 साल तक सेना में रहकर देश की सेवा करने वाले मनोज सिंह तोमर अब बहुत दुखी हैं. क्योकि नक्सली हमले में घायल होने के बाद सरकार उनकी पूरी चिंता नहीं कर रही है. मनोज सिंह तोमर का कहना है कि सरकार के ऐसे बर्ताव से ये महसूस होता है कि सरकार ज़्यादती कर रही है.
मनोज का कहना है कि उस समय स्पॉट पर इलाज हो गया. लेकिन सही नहीं हो पाया. आज हम अपना इलाज के लिए एम्स के चक्कर काट रहे हैं. किसी मंत्री के बंगले के चक्कर काट रहे हैं कि हमारा इलाज करा दो. सरकार से किसी प्रकार की कोई उम्मीद नहीं रही.